SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 1002
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ दफा ७६४-७६५] स्त्रीधन की घरासत के मातापिता या दूसरे रिश्तेदारों के द्वारा उसे दिया गया हो वह कन्याके भाई माता, पिताको क्रमसे दिया जाय यानी उस धनकी वरासत कन्याकी जाय. दादकी तरहपर होगी । दायक्रमसंग्रह, स्मृतिचन्द्रिका, व्यवहार मयूखका भी यही मत है। और देखो--कोलककी डाइजेस्ट 3 P. 624; स्ट्रंज हिन्दूला 1 Vol. P. 38. अगर वर न हो तो वह मेरे किसी दूसरेको नहीं दी जायेगी । बल्कि कन्याके वारिसोंको मिलेगी, देखो--व्यवस्थादर्पण २-७३३. विवाहिता स्त्रीके स्त्रीधनकी वरासतका क्रम सन्तानवाली स्त्रीकी जायदादकी वरासत दफा ७६५ मिताक्षराके अनुसार स्त्रीधनकी वरासत मिताक्षराला के अनुसार सन्तान वाली स्त्रीके स्त्रीधन या स्त्रीधनकी जायदादकी वरासत निम्न लिखित होगी-- . [१] शुल्क--ऐसा मालूम होता है कि शुल्कके वारिस पहिले सगे भाई और पीछे माता होती है,परन्तु अभी तक यह पूरे तौरसे निश्चय नहीं हुआ कि दोनों में से कौन पहिले वारिस होगा। इस विषयमें गौतमके एक श्लोकका अर्थ करने में मतभेद है, वह श्लोक यह है मिताक्षरा और मयूख इस बचनका अर्थ इस प्रकार करते हैं-'वहनका शुल्क सगे भाइयोंको मिलेगा. उनकी मृत्युके पश्चात् मा को, वीरमित्रोदय, स्मृति चन्द्रिका, दायभाग और चिन्तामणि इसका अर्थ इस प्रकार करते हैं, 'बहनका शुल्क सगे भाइयोंको मिलेगा पश्चात् माके'। यहांपर 'ऊर्ध्व' पदमें झगड़ा है मिताक्षरा आदि पहिले कहे हुये आचार्यों का कहना है कि भाईके पश्चात् माताको, दूसरोका कहना है कि माताके पश्चात् भाइयोंको इसी विषय में सर गुरुदास बनर्जी कहते हैं कि मिताक्षराका भी यही अभिप्राय है क्योंकि वारिसोंमें सबसे पहिले भाइयोंका ही नाम लिया गया है। देखो हिन्दूला आफ मेरेज2 ed. P. 365. शास्त्री जी० सरकार और डाक्टर योगेन्द्रोनाथ भट्टाचार्यकी भी यही राय है, देखो-सरकारका हिन्दुला 2 ed. P.578. और देखो कनिंगका हिन्दूलॉ P. 119. कहा है कि यदि माता और भाई दोनोंही न हों तब शुल्कका वारिस कौन होगा इस प्रश्नपर शास्त्रोंमें कुछ नहीं कहा गया। ऐसी सूरत में वह धन अन्य स्त्रीधनके वादिलों को मिलेगा। 116
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy