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________________ बीओ सन्धी । ११ णिसुणिवि तासु परम्मुहवयणहं मुहं मउलिउ जलभरियई णयणई । हियवह निरु मणु सम्मारिउ दुक्खु दुक्खु पुणु मणु साहारिउ । थिय गरुयाहिमाणि मणु लाइवि मच्छरु माणु मरडु पमाइवि । उपहसइ उ णु सिंगारइ तिष्णि काल पर जिणु जयकारइ । उ केवि सेहुंणयण कडक्खड़ णउ कासुवि गुणदोसई अक्खई । तोवि ताहं घरवइ ण सुहावइ अवखेरंतु पुणुवि बोल्लावइ । अच्छहि काई एत्थु दुक्कंदिरि णीसरु कंति जाहि पियमंदिरि । तं दुव्वयणवासु असहंती णिग्गय परियणु आउच्छंती । धत्ता । गय लुघुलंति पियमंदिरहों सुहिपरियणु पिक्खंतु थिउ । लग्गेवि कंठि नियमायरिहि सुइरु विरसु कारुण्णु किउ ॥ ९ ॥ पुच्छिति वि जणि जणि आउर ण कई कहोवि किंपि दुक्खाउर | तं पक्खिवि जणेरु आसंकिउ थिउ हिट्ठामुहुं माणकलंकिउ । चितइ विविहवियप्पवियारणु एउ न जाणहं कांइमि कारणु । एह घरि गरुयविहोएं आवंति य परिमियवहलोएं । सिंगारिं पडियबहुभोगी अह गईदि अह तुरइ वलग्गी । एव्वहि दीणवयणविद्दाणी दीसह सुट्ट निर्देन्नयमाणी । अणुवि rिore कलुणु रुअंती कारणु किंपि नैत्थि उ भंती । मंच्छुडु किं दुच्चरिङ पलाविउ सज्जणजणहो णाउं लज्जाविउ । णिहणु जंतु तियमइड हयासउ णिम्मलकुलहं कलंकपयासउ । एत्थंतरि धणवइण महल्लउ पेसिउ वयणवियक्खणु भल्लउ । धत्ता । तं कहि एह तुम्हहतणिय णियकुलमग्गविसुद्धमई । वरइत्तिं विप्पियपियगुणिण घल्लिय परमायारमँई । ৩ तो परियहं जाउ परिओसु परिहउ लयउ पवडियरोसु ॥ १० ॥ हरियत्तेण वुत्तु लइ भल्लउ गउ नियहरु सविलक्खु महल्लउ । एत्थंतरि कुमारु कीलंतर लीलइ णियमंदिर संपत्तउ । तामतित्धुणियजणणि ण पिक्खइ वुन्नडं दिसेंउ णियइजणु पुच्छइ । पिक्ख परियणु अंसुजलोल्लिउ तक्खणि सोवि हियइ आहल्लिउ । १ B सिंहुं २ B तुलुघुति ३ B करइ ४ B एत्थु ५ B विरुण्णयमाणी ६ B अत्थि ७ B सई ८ B तेथु ९ B पेच्छइ १० B चुण्ण ११ B दिसई
SR No.032126
Book TitleBhavisayatta Kaha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKavi Dhanpal, C D Dalal
PublisherBaroda Central Library
Publication Year1923
Total Pages402
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
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