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________________ लो, जो चला गया इसको पकड़े रहो । प्राणहीन पादप से लिपट गयी लता अतीत से कितनी आगत को ममता सूखे वृक्ष से भी लता लिपटी रहती है। सहारा! अब और कोई सहारा तो दिखायी नहीं पड़ता । आगे तो सिर्फ अंधकार है। भीतर अंधकार है। अब तो एक ही रोशन बात मालूम पड़ती है, यह अतीत की लकीर जिस पर तुम गुजर आए, यह रास्ता जो बीत चुका, जो अब कभी होगा नहीं, जो हो चुका। अब इन्हीं संजोयी स्मृतियों के फूलों को, सूखे फूलों को सजाकर बैठे हो। इन्हीं को पकड़े हो । प्राणहीन पादप से लिपट गयी लता अतीत से कितनी आगत को ममता मुर्दा है यह सब, लाश है यह सब । कभी-कभी ऐसा हो जाता है, बंदरिया अपने बच्चे को लेकर घूमती रहती है, छाती से लगा । बच्चा मर जाता है तो भी घूमती रहती है। कुछ दिन लग जाते हैं जब बच्चा सड़ जाता है और बास उठने लगती है, तब छोड़ती है घबड़ाकर । नहीं तो मुर्दा ही को लटकाए रखती है! पुरानी आदत । अतीत तो मुर्दा है, जा चुका हो चुका। धूल है। राख है, अंगारा तो बुझ चुका। अब इस राख को मत सेजे रहो, मत सजाए रहो। इस राख में उलझे रहे, तो आगे देखने के लिए जो आंख चाहिए, जो कि बड़ी जरूरी है, क्योंकि मौत सामने आ रही है, देखने का मौका आ रहा है। यह बड़ा अंधेरा उतरनेवाला है, बड़ी आंखों की जरूरत पड़ेगी। अब यह समय मत खोओ पुरानी स्मृतियों में। अब तो जरा आगे - अभी आगे देखने का कुछ अर्थ है। बच्चे तो आगे देखते हैं, वह स्वाभाविक है, उसका कोई मूल्य नहीं है। जवान वर्तमान में देखते हैं, वह स्वाभाविक, उसका भी कोई मूल्य नहीं है। के पीछे देखते हैं, वह स्वभाविक, उसका भी कोई मूल्य नहीं है। अब तुम समझो। अगर कोई बच्चा पीछे देखने लगे तो क्रांति घट जाती है। इसलिए कथा कहती है कि लाओत्सु का पैदा हुआ क्योंकि वह पीछे देखता हुआ पैदा हुआ कुछ बच्चे पैदा होते हैं जो पीछे देखते पैदा होते हैं। ऐसे ही बच्चों ने तो दुनिया को यह खयाल दिया कि अनेक- अनेक जन्म हैं पीछे। जो बच्चे पीछे देखते पैदा होते हैं, वही तो खबर लाते हैं इस दुनिया में कि पहले और भी जन्म हुए हैं। हम ये नहीं हैं, आगंतुक नहीं हैं, बहुत पुराने हैं प्राचीन। जिनको पिछले जन्मों की स्मृति रह जाती है, वे बच्चे पीछे देखते पैदा होते हैं। जो बच्चा पीछे देखता पैदा होता है, अनूठा है। जो जवान आगे-पीछे देखने में समर्थ होता है, वह अनूठा है। क्योंकि जवान तो सिर्फ क्षण को देखता है। जो है अभी कर लो, गुजर लो, जो होगा होगा, देखा जाएगा। जवान तो वर्तमान में अंधा होता
SR No.032114
Book TitleAshtavakra Mahagita Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year
Total Pages444
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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