SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 250
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ और प्रेम तो सदा से उलझन में रहा है। समझदार जिनको तुम कहते हो, तथाकथित समझदार, वे प्रेम में नहीं पड़ते। परमात्मा के तो प्रेम की बात छोडो, वे सांसारिक प्रेम तक में नहीं पड़ते। वे किसी स्त्री के प्रेम में नहीं पड़ते, किसी पुरुष के प्रेम में नहीं पडते, किसी मित्र के प्रेम में नहीं पड़ते। क्योंकि वे जानते हैं, प्रेम में झंझट है। वे तो प्रेम से अपना दामन बचाकर चलते हैं। प्रेम की जगह विवाह कर लेते हैं। प्रेम में नहीं पड़ते। क्योंकि प्रेम में खतरा है। खतरा इस बात का है कि प्रेम को नियंत्रण नहीं किया जा सकता। और फिर परमात्मा का प्रेम 'तो बहुत खतरनाक है। तुमने अनंत के हाथों में छोड़ दिया अपने को। बागडोर उसके हाथों में दे दी, अब वही हुआ सारथी तुम्हारा तो यहां तो जो भी मैं तुमसे कह रहा हूं, वह बहुत थोडा सा है। वह इतना ही है कि तुम अपने हाथ परमात्मा के हाथ में दे दो। तुम बागडोर उसके हाथ में छोड़ दो, तुम कर्ता न रहो। हमसे पहले भी मुहब्बत का यही अंजाम था कैस भी नाशाद था फरहाद भी नाकाम था प्रेमी तो सदा से उपद्रव में, अड़चन में, झंझट में रहे। लेकिन उन्होंने ही कुछ पाया भी। जिन्होंने अपने को गंवाया है, उन्होंने ही कुछ पाया है। जो इबे, वही उबरे। जो मझधार में खो गये, उन्हीं को किनारा मिला। आखिरी जाम में थी बात क्या ऐसी साकी हो गया पी के जो खामोश वह खामोश रहा अब आ गये हो तो घबडाओ मत। अब यह पागलपन तुम पर छा रहा है तो डरो मत, हिम्मत करो, छा जाने दो। इसमें बाधा मत डालना। क्योंकि बहुत हैं जो पास आकर भाग जाते हैं। भाग जाते हैं डर के कारण। लगता है कि खिंचे जा रहे हैं। लगता है कि जल्दी ही अपने बस में न रह जाएंगे। इसके पहले कि बस खो जाए, भाग जाते हैं। फिर स्वभावत: जो मुझसे भाग जाते, उनको मुझसे भागने के लिए कई तर्क खोजने पड़ते, कारण खोजने पड़ते, कि क्यों छोड़ आए, क्यों भाग आए। अपने को भी धोखा देने के लिए उन्हें कई इंतजाम मानसिक करने पड़ते है-बौद्धिक-कि क्यों भाग आए। लेकिन मैं जानता हूं बड़े-से -बड़ा भय तुम्हें पैदा होगा वह यह कि कहीं ऐसा न हो कि तुम इसमें इतने उलझ जाओ कि फिर इसके बाहर न जा सको। आखिरी जाम में क्या बात थी ऐसी साकी हो गया पी के जो खामोश वह खामोश रहा यहां पहले तो पागलपन पैदा होगा-प्रेम पैदा होगा और अगर हिम्मत रखी और डूबते गये, तो खामोशी पैदा होगी। पागलपन चला जाएगा, सब तूफान चले जाएगे और तूफानों के बाद ही जो शाति आती है, वही शाति है। पहले तूफान आएगा, फिर शाति आएगी। अगर तूफान में ही घबड़ाकर भाग गये, तो शाति से वंचित रह जाओगे। अगर तूफान में टिक गये और तूफान को गुजर जाने दिया तो तुम्हारी धूल झड़ जाएगी। तुम्हारी सदियों की धूल झड़ जाएगी। तुम्हारा दर्पण फिर निखर आएगा। उस निखरे दर्पण का नाम ही ध्यान है। उस निखरे दर्पण में ही जो अस्तित्व की छवि बनती है, उसी
SR No.032114
Book TitleAshtavakra Mahagita Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year
Total Pages444
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy