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________________ दूसरी तरह के लोग भी हैं, वे भी आ कर मुझसे पूछते हैं कि अगर ध्यान से सत्य मिल सकता है तो फिर प्रेम की कोई जरूरत है? उनसे भी मैं यही कहता हूं कि अगर तुमने मेरे ध्यान की बात समझी तो यह प्रश्न पूछोगे नहीं। जिसको ध्यान जगने लगा, प्रेम तो जगेगा ही। बुद्ध ने कहा है : जहां-जहाँ समाधि है, वहां -वहा करुणा है। करुणा छाया है समाधि की। चैतन्य ने कहा है. जहां-जहां प्रेम, जहां-जहां प्रार्थना, वहां-वहां ध्यान। ध्यान छाया है प्रेम की। ये तो कहने के ही ढंग हैं। जैसे तुम्हारी छाया तुमसे अलग नहीं की जा सकती, ऐसे ही प्रेम और ध्यान को अलग नहीं किया जा सकता। तुम किसको छाया कहते हो, इससे भी कोई फर्क नहीं पड़ता। ये तो पद्धतियां हैं। दो पद्धतियां हैं सत्य को खोजने की। जो है, उसे जानने के दो ढंग हैं या तो ध्यान में तटस्थ हो जाओ, या प्रेम में लीन हो जाओ। या तो प्रेम में इतने डूब जाओ कि तुम मिट जाओ, सत्य ही बचे या ध्यान में इतने जाग जाओ कि सब खो जाए, तुम ही बचो। एक बच जाए किसी भी दिशा से। जहां एक बच रहे, बस सत्य आ गया। कैसे तुम उस एक तक पहुंचे 'मैं को मिटा कर पहुंचे कि 'तू' को मिटा कर पहुंचे इससे कुछ भेद नहीं पड़ता है। लेकिन मन बड़ा बेईमान है। अगर मैं ध्यान करने को कहता हूं तो वह पूछता है 'प्रेम से नहीं होगा?' क्योंकि ध्यान करने से बचने का कोई रास्ता चाहिए। प्रेम से हो सकता हो तो ध्यान से तो बचें फिलहाल, फिर देखेंगे! फिर जब मैं प्रेम की बात कहता हूं, तो तुम पूछते हो : ' ध्यान से नहीं हो सकेगा?' तब तुम प्रेम से बचने की फिक्र करने लगते हो। तुम मिटना नहीं चाहते और बिना मिटे कोई उपाय नहीं; बिना मिटे कोई गति नहीं। हम भी सुकरात हैं अहदे-नौ के तस्नालब ही न मर जाएं यारो जहर हो या मय-आतशी हो कोई जामे-शहादत तो आए। कोई मरने का मौका तो आए। हिम्मतवर खोजी तो कहता हैं. हम भी सुकरात हैं अहदे -नौ के हम भी सत्य के खोजी हैं सुकरात जैसे। अगर जहर पीने से मिलता हो सत्य, तो हम तैयार हैं। मय-आतशी पीने से मिलता हो तो हम तैयार हैं। विष पीने से मिलता हो या शराब पीने से मिलता हो, हम तैयार हैं। कोई जामे-शहादत तो आए। कोई शहीद होने का, मिटने का, कुर्बान होने का मौका तो आए। मैं तुम्हारे लिए शहादत का मौका हूं। तुम बचाव न खोजो। ध्यान से मरना हो ध्यान से मरो प्रेम से मरना हो प्रेम से मरो-मरो जरूर! कहीं तो मरो, कहीं तो मिटो! तुम्हारा होना ही अड़चन है। तुम्हारी मृत्यु ही परमात्मा से मिलन होगी।
SR No.032111
Book TitleAshtavakra Mahagita Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year
Total Pages422
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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