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बशिस्थानक गुणवर्णन पूजा. ६२१ राकया। नहिय धवल केशांकुरा ॥ ६॥ नित०॥ एह थविर पद सेवी नग तै। पदमोत्तर वसुधेसरा। पद श्रीजिनहरपै तिण लहीयो । मुनिवर कुमुद निशाकरा ॥ ७ ॥ नित० ॥ (कलश) सम्मत्त संयम पतित विजन अ हित थिरकरता नला। अवगुण प्रदूषित गुणविनूषित चंद्रकिरण समुऊ ला। अष्टाधिका दशसहस शीलांगरथ रुचिर धाराधरा । जवसिंधु तारण प्रवर कारण नमो थविरमुनी सरा॥८॥ (नक्षी श्रीस्थविरायनमः)॥५॥॥ इति पंचमपदे श्रीस्थविरपूजा॥५॥
॥ ॥ अथ षष्टपदे श्रीनपाध्याय पूजा लि० ॥ ॥ ॥ ॥ (दूहा) ॥8॥ प्रवर नाण दरशण चरण । धारक यतिध्रम सार । समितिपंच त्रिणगुप्तिधर । निरुपम धीरजधार ॥१॥ * ॥ - (राग भैरव )॥ पंचवरणी अंगीरची कुसुमजाती (ए चाल) | जावधरी जवझायावंदो विजयकारी। श्रीनवसाय परमपद वंदी। लहो जिनपद अतिशय धारी॥१॥नाव०॥ कुमती मदतरु जंजन सिंधुर। सुमतिकंद धन अवतारी। अंगवालस नणय नणावै। शिष्यनणी चित हितधारी॥२॥ जाव०॥ सकल सूत्र नपदेश दीयणते । वाचक अति विमलाचारी । नव तीजै अम्रित सुखपामें । सुर असुरेंद्र मनोहरी ॥ ३ ॥ नाव० ॥ य ग ज वृष पंचानन सरिषा। करमकंद वर नर वारी । वासुदेव वासव नृप दिन कर । विधु नंमारि तुलाधारी॥ ४ ॥ नाव०॥ जंबू शीतानदि कांचनगि रि। चरमजलधि नेपमन्नारी। एनपमा बहुश्रुतनी जाणो । नत्तराध्ययन कहीसारी ॥ ५ ॥ नाव० ॥ अमल पंचविंशति गुणमणि निधि । स कल जुवन जन नपगारी । शंशय तिमिर हरण वासरमणि । पाप ताप आतपवारी ॥६॥ जाव०॥ प्रवर शंख पय नरीयो सोहै । तिमए ज्यान चरण चारी । महेंद्रपाल पाठक पद सेवी । लहीयो जिनपद विजितारी ॥७॥नाव०॥ (काव्यं ) सब्बोहिबीजं कुरकारणाणं । णमो मो वायग बारणाणं । कुबोहिदंती हरिणेसराणं । विग्घोष संताव पयोहराणं ॥ ८ ॥ (उक्षी श्रीनपाध्यायेभ्योनमः )॥६॥इतिषष्टपदे श्रीनपाध्यायपूजा॥६॥8॥