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________________ मोन एकादशीको गुणनो ॥ ॐ ॥ पुष्करार्द्ध पश्चिमन रते अतीत २४ जिन पंच कल्याणक० ॥ *॥ १३ ॥ ॥ प्रथम ॥ ४ ॥ श्री प्रलंब सर्वज्ञाय नमः ॥ ६ ॥ श्री चारित्रनिधि अर्हतेनमः ॥ ६ ॥ श्री चारित्रनिधि नाथाय नमः ॥ ६ ॥ श्री चारित्रनिधि सर्वज्ञाय नमः ॥ ७ ॥ श्री प्रशमजित नाथाय नमः ॥ ॥ ॥ पुष्करार्द्ध पश्चिमनरते वर्तमान २४ जिन पंच कल्याणक ० ॥ * ॥ १४ ॥ २१ ॥ श्री स्वामि सर्वज्ञाय नमः ॥ १९ ॥ श्री विपरीत ते नमः ॥ १९ ॥ श्री विपरीत नाथाय नमः ॥ १९ ॥ श्री विपरीत सर्वज्ञाय नमः ॥ १८ ॥ श्री प्रसाद नाथाय नमः ॥ ॥ ॥ पुष्करार्द्ध पश्चिमत्नरते अनागत २४ जिन पंच कल्याणक ० ॥ ॥ १५ ॥ ४ ॥ श्री अघटित सर्वज्ञाय नमः ॥ ६ ॥ श्री भ्रमन्द्र महते नमः ॥ ६ ॥ श्री भ्रमणेंद्र नाथाय नमः ॥ ६ ॥ श्री भ्रमर्णेन्द्र सर्वज्ञाय नमः ॥ ७ ॥ श्रीरिषनचन्द्र नाथाय नमः ॥ ३८३ ॥ ॥ जंबूद्वीपे ऐरवतक्षेत्रे प्रतीत २४ जिन पंच कल्याणक० ॥ ॥ १६॥ ॥ द्वितीय ॥ ४ ॥ श्री दयांतसर्वज्ञाय नमः ॥ ६ ॥ श्री अभिनंदन अर्हते नमः ॥ ६ ॥ श्री अभिनंदन नाथाय नमः ॥ ६ ॥ श्री अभिनंदन सर्वज्ञाय नमः ॥ ७ ॥ श्री रत्नेश नाथाय नमः ॥ ॥ ॐ ॥ जंबूद्वीपे ऐरवतक्षेत्रे वर्त्तमान २४ जिन पंच कल्या एक नामः ॥ * ॥ १७ ॥ २१ ॥ श्री शामकाष्ट सर्वज्ञाय नमः ॥ १९ ॥ श्री मरुदेव महते नमः ॥ १९ ॥ श्री मरुदेव नाथाय नमः ॥ १९ ॥ श्री मरुदेव सर्वज्ञाय नमः ॥ १८ ॥ श्री प्रतिपार्श्वनाथाय नमः ॥ ॥ ॥ जंबूद्वीपे ऐरवत क्षेत्रे अनागत २४ जिन पंच क ल्याणक नामः ॥ ॥ १८ ॥ ४ ॥ श्री नंदिषेण सर्वज्ञाय नमः ॥ ६ ॥ श्री व्रतधर ते नमः ॥ ६ ॥ श्री व्रतधर नाथाय नमः ॥ ६ ॥ श्री व्रतधर सर्वज्ञाय नमः ॥ ७ ॥ श्रीनिर्वाण नाथाय नमः ॥
SR No.032083
Book TitleRatnasagar Mohan Gun Mala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuktikamal Gani
PublisherJain Lakshmi Mohan Shala
Publication Year1903
Total Pages846
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size30 MB
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