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________________ रत्नसागर. ३८४ ॥ * ॥ धातकीखंडे पूर्वऐरवते अतीत २४ जिन पञ्च कल्या एक नामः ॥ * ॥ १९ ॥ ॥ प्रथमः ॥ ४ ॥ श्री सौदय सर्वज्ञाय नमः ॥ ६ ॥ श्री त्रिविक्रम अर्हते नमः ॥ ६ ॥ श्री त्रिविक्रम नाथाय नमः ॥ ६ ॥ श्री त्रिविक्रम सर्वज्ञाय नमः ॥ ७ ॥ श्री नारसिंह नाथाय नमः ॥ ॥ ॐ ॥ धातकीखं पूर्वऐरवते वर्त्तमान २४ जिन पंच कल्याणक नामः॥॥२०॥ २१ ॥ श्री खेमन्त सर्वज्ञाय नमः ॥ १९ ॥ श्री संतोषित अर्हते नमः ॥ १९ ॥ श्री संतोषित नाथाय नमः ॥ १९ ॥ श्री संतोषित सर्वज्ञाय नमः ॥ १८ ॥ श्री काम नाथाय नमः ॥ ॥ * ॥ धातकीखं पूर्वऐरवते अनागत २४ जिन पंच कल्याणक० ॥ * ॥ २१ ॥ ४ ॥ श्री मुनिनाथ सर्वज्ञाय नमः ॥ ६ ॥ श्री चन्द्रदाह अर्हते नमः ॥ ६ ॥ श्री चन्द्रदाह नाथाय नमः ॥ ६ ॥ श्री चन्द्रदाह सर्वज्ञाय नमः ॥ ७ ॥ श्री दिलादित्य नाथाय नमः ॥ ॥ * ॥ पुष्करार्द्ध पूर्व ऐरवते ॥ प्रतीत २४ जिन पंचकल्या एक नामः ॥ * ॥ २२ ॥ ॥ द्वितीय ॥ ४ ॥ श्री अष्टाहिकसर्वज्ञाय नमः ॥ ६ ॥ श्री वणिक अर्हते नमः ॥ ६ ॥ श्री वणिक नाथाय नमः ॥ ६ ॥ श्री वणिक सर्वज्ञाय नमः ॥ ७ ॥ श्री उदयज्ञान नाथाय नमः ॥ ॥ ॐ ॥ पुष्करार्द्ध पूर्वऐरवते वर्त्तमान २४ जिन पंच कल्याणक० ॥ * ॥२३॥ २१ ॥ श्रीतमोकन्दन सर्वज्ञाय नमः ॥ १९ ॥ श्री सायका महते नमः ॥ १९ ॥ श्री सायका नाथाय नमः ॥ १९ ॥ श्री सायकाळ सर्वज्ञाय नमः ॥ १८ ॥ श्री खेमन्त नाथाय नमः ॥ ॥ # ॥ पुषकरार्द्ध पूर्वऐरवते अनागत २४ जिन पंच कल्याणक नमः ॥ २४ ॥ ४ ॥ श्री निर्वाण सर्वज्ञाय नमः ॥ ६ ॥ श्री रविराज ते नमः ॥ ६ ॥ श्री रविराज नाथाय नमः ॥ ६ ॥ श्री रविराज सर्वज्ञाय नमः ॥ ७ ॥ श्री प्रथमनाथ नाथाय नमः ॥
SR No.032083
Book TitleRatnasagar Mohan Gun Mala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuktikamal Gani
PublisherJain Lakshmi Mohan Shala
Publication Year1903
Total Pages846
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size30 MB
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