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________________ श्राद्धविधि/३ सुनकर अपशकुन की बुद्धि से लोगों ने उसकी पिटाई की। सत्य बात कहने पर उन लोगों ने समझाया कि ऐसे प्रसंग पर तो 'यह प्रसंग कभी न हो' ऐसा बोलना चाहिए । कुछ ही दूरी पर लग्न का प्रसंग चल रहा था। उसे देखकर वह युवक बोला-'ऐसा प्रसंग कभी न हो ।' युवक के इन शब्दों को सुनकर लोगों को बड़ा गुस्सा आया। उन्होंने उसकी पिटाई कर दी। सत्य बात कहने पर लोगों ने उसे समझाया कि ऐसे प्रसंग पर तो 'यह प्रसंग हमेशा हो' ऐसा कहना चाहिए। आगे बढ़ने पर उसने एक पुरुष के हाथ-पैरों में बेड़ियाँ डलते हुए देखी। उसे देखकर वह युवक बोला, 'ऐसा प्रसंग निरन्तर हो।' इन शब्दों को सुनते ही उस कैदी के सम्बन्धियों को बड़ा गुस्सा आया, उन्होंने युवक को खूब मारा। सत्य कहने पर लोगों ने उसे समझाया कि ऐसे प्रसंग पर 'जल्दी मुक्त बनो (अलग पड़ो)' ऐसा कहना चाहिए। आगे बढ़ने पर उस युवक ने दो पुरुषों को परस्पर दोस्ती करते हुए देखा। उन्हें देखकर उसने जोर से कहा, 'जल्दी अलग पड़ो।' इन शब्दों को सुनते ही उन लोगों को गुस्सा आया और उन्होंने उसकी पिटाई कर दी। सत्य बात कहने पर लोगों ने उसे मुक्त कर दिया। __ आगे बढ़ते हुए वह किसी गाँव में पहुंचा और वहाँ एक कोतवाल के घर नौकरी करने लगा। एक बार दुष्काल के समय में उस कोतवाल के घर राब बनाई गई। कोतवाल किसी कार्यवश गाँव के चौंटे पर गया हुआ था। वहाँ पर काफी लोग थे। उसी समय वह युवक वहाँ पहुँच गया और जोर से बोला,-"चलो, घर चलो.."राब ठण्डी हो जाएगी।" उस युवक के इन शब्दों को सुनकर वह कोतवाल शर्मिन्दा हुआ। घर आकर उसने उस युवक की बहुत पिटाई की और उसे समझाया कि ऐसी बात तो एकान्त देखकर धीरे से करनी चाहिए ताकि कोई सुन न ले। एक बार कोतवाल के घर में आग लग गई। उस समय कोतवाल चौंटे पर गया हुआ था। आग लगने की खबर देने के लिए वह युवक उस कोतवाल के पास आया, परन्तु उसने कोतवाल के आसपास बहुत से लोगों को देखा। भीड़ को देखकर वह एकान्त में खड़ा हो गया और सब लोगों के चले जाने पर कोतवाल के कान में धीरे से कहने लगा "घर में आग लग गई है।" यह सुनते ही कोतवाल ने कहा, “अरे! इस बात में इतनी देरी क्यों की? ऐसे प्रसंग पर तो तुरन्त ही धूल-मिट्टी और पानी डालकर आग को तुरन्त बुझा देना चाहिए।" कुछ समय बाद एक बार कोतवाल स्नान कर रहे थे। बालों को सुगन्धित करने के लिए कुछ धूप जलाया गया। उस धुएँ को देखकर उस ग्रामीण युवक ने तुरन्त ही कोतवाल के ऊपर कचरा आदि फेंक दिया। ___ उसके इस मूर्खतापूर्ण व्यवहार को देखकर कोतवाल को अत्यन्त गुस्सा आ गया। उसने उसकी पिटाई की और मूर्ख समझ कर उसे घर से निकाल दिया।
SR No.032039
Book TitleShravak Jivan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatnasensuri
PublisherMehta Rikhabdas Amichandji
Publication Year2012
Total Pages382
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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