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________________ विषय-सूची २६३-३८२ - २६३ २६४ २६७ २६८ २६९ २७० २७१ २७२ २७३ २७४ अध्याय. क्रिया विचार क्रियारूपों की जानकारी के आवश्यक नियम कर्तरि धातुओं के विकरण सम्बन्धी नियम वर्तमान, भूत, भविष्यत् , विधि-आज्ञा एवं क्रियाविपत्ति में प्रत्यय हस् धातु : सभी कालों की रूपावली हो (भू): रूपावली .ठा (स्था) , झा (ध्ये) : , ने (नी) : , उड्डे (उड्डी) , पा : रूपावली पहा (स्ना) : रूपावली गा (ग) : रूपावली विकरण भिन्नता से हो (भू) : रूपावली रव (रु): रूपावली कर (कृ) रूपावली अस् : रूपावली पूस ( पुष): रूपावली धुण (स्तु): हरिस ( हृष्): गच्छ ( गम् ): वोल्ल, जप, कह ( कथ): धुव (धू) : " कर्मणिहस: रूपावली हो (भू): २७७ २७८ २७९ २८० २८१ २८२ २८४ २८५ २८६ २८७ २८८ २८९ झा ( ध्यै ) : चिव चि): ठा (स्था) : पा: भण : .. २९० २९० २९३ २९२ २९३
SR No.032038
Book TitleAbhinav Prakrit Vyakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorN C Shastri
PublisherTara Publications
Publication Year1963
Total Pages566
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size28 MB
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