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________________ ८ अभिनव प्राकृत व्याकरण २१९ २२१ उपसर्ग : विश्लेषण २१३ प्राकृत के बीस उपसर्ग सोदाहरण २१४ क्रियाविशेषण २१५ समुच्चय बोधक अव्यय २१९ मनोविकार/सूचक अव्यय निपातों की अनुक्रणिका अध्याय ८ कारक, समास और तद्धित २३४-२६२ कारक परिभाषा और व्यवस्था प्रथमा विभक्ति : नियम और उदाहरण २३५ कर्मकारक की परिभाषा और द्वितीया विभक्ति : नियम और उदाहरण २३५ करण कारक की परिभाषा और तृतीया विभक्ति : नियम और उदाहरण सम्प्रदान कारक की परिभाषा और चतुर्थी विभक्ति : नियम और उदाहरण २३९ अपादान कारक की परिभाषा और पञ्चमी विभक्ति : नियम और उदाहरण २४० षष्टी विभक्ति : नियम और उदाहरण २४१ अधिकरण कारक का स्वरूप और सप्तमी विभक्ति : नियम और उदाहरण २४२ समास : परिभाषा और भेद २४४ अव्ययीभाव : नियम और उदाहरण २४४ तत्पुरुष : नियम और उदाहरण २४५ प्रादितत्पुरुष, उपपद और कर्मधारय : नियम और उदाहरण २४८ द्विगु : परिभाषा, भेद और अनुशासन बहुब्रीहि : अनुशासन द्वन्द्व : अनुशासन तद्धित : परिभाषा और भेद २५५ ईदमर्थक प्रत्यय, उदाहरण २५५ व्व, इमा, तण, हुत्तं, आलु, इल्ल, उल्ल, आल, वन्त, मन्त : प्रत्यय और उदाहरण २५६ तो, दो : प्रत्यय और उदाहरण २५७ हि, स्वार्थिक इल्ल, अ, उल्ल; इत्तिअ : प्रत्यय और उदाहरण २६८ एत्तिअ, एत्तिल, एपह, सि, सिअं, इआ : प्रत्यय और उदारण २५९ अय, इय, आलिअ, ल, ल्लो, इअ, णय : प्रत्यय और उदाहरण २६० तर, तम : प्रत्यय और उदाहरण
SR No.032038
Book TitleAbhinav Prakrit Vyakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorN C Shastri
PublisherTara Publications
Publication Year1963
Total Pages566
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size28 MB
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