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________________ ३२ अक्षयनिधी तपारूढ्या तप २ रुढ २ पूर २ पूरय २ ॐ ह्रीं श्रीं ऐं क्लीं श्री श्रुतदेवी भगवति वसुधारे मम श्रमणसंघस्य सपरिवारस्य सर्वेस्या (षां) सत्वानां च भर २ भरणी श्री श्रुतदेवी कल्पवल्ली शांतिमती जयमती महामती सुमंगलमती पिंगलमती सुभद्रमती शुभमती चंद्रमती आगच्छागच्छ समयमनुस्मर स्वाहा आधारमनुस्मर स्वाहा आकारमनुस्मर स्वाहा अवर्णमनुस्मरे स्वाहा प्रभावमनुस्मरे स्वाहा स्वभावमनुस्मरे स्वाहा धृतिमनुस्मरे स्वाहा सर्वतथागतानां विनयमनुस्मरे स्वाहा हृदयमनुस्मर स्वाहा उपहृदयमनुस्मरे स्वाहा जयमनुस्मरे स्वाहा विजयमनुस्मरे स्वाहा सर्वसत्त्वविजयमनुस्मरे स्वाहा सर्व तथागतविजयमनुस्मरे स्वाहा । ॐ श्री वसुमुखी स्वाहा । ॐ वसुश्री स्वाहा ॐ वसुश्रिये स्वाहा ॐ वसवै स्वाहा ॐ वसुमति स्वाहा ॐ वसुमतिश्रिये स्वाहा ॐ वसुधीरे स्वाहा ॐ ह्रीं श्री श्रुतदेवी धरणी धारणी स्वाहा ॐ सगय सौम्ये समयकरी माहासमये स्वाहा ॐ श्रिये स्वाहा ॐ श्रीं करी स्वाहा ॐ धनकरी स्वाहा ॐ धान्यकरी ॐ ॐ ह्रीं श्रिये श्री श्रुतदेवी भगवती रत्नवर्षणी स्वाहा.... ॐ श्रुतदेवी वसुधारी महावृष्टिनिपातनी वसु स्वाहा । मूल हृदय वसुधारे सर्वार्थ साधने साधये २ उद्धर २ रक्ष २ सर्वानिधियंत्रं त्रउच चट द्वट वटट दंड स्वाहा । परम हृदय ॐ नमो श्री श्रुतदेवी भगवत्ये आर्य लोवडिके अथाजिनासं २ रक्षणी फलहस्ते दीवहस्ते धनदे वरदे शुद्ध विशुद्ध शिवंकरी शांतिकरी भयनासनी भयदुषणी सर्वदुष्टान् भंजय २ स्थंभय २ मम श्रमण संघ शांतिपुष्टी कुरु कुरु स्वाहा || उपसर्गा क्षयंकारी छेदंती विघ्नवल्लरी । ददाति सर्वदा सिद्धि नमोऽस्तु कल्याणकारिणी ॥ सर्वमंगल मांगल्यं सर्वकल्याणकारणं । प्रधानं सर्वधर्माणां जैनं जयति शासनम् ॥ १ ॥ इति मन्त्रगर्भित श्रुतदेवता-स्तोत्रं सम्पूर्णम् । SG G SC
SR No.032030
Book TitleSachitra Siddh Saraswati Sindhu
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKulchandravijay
PublisherSankheshwar Parshwanath Jain Mandir
Publication Year1994
Total Pages218
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size30 MB
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