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________________ - - दर्शनानन्दजीके चेलेञ्जानमार हमको शास्त्रार्थ करना मंजूर है और उनकी जिज्ञासानमार प्रगट करते हैं कि यह शास्त्रार्थ स्थान गोदोको नसियों में आज ही दिनके २ वजेसे ५ बजे तक विषय "जगतका कर्ता ईश्वर है या नहीं - थवा हमारे पूर्व प्रकाशित विषयपर होगा। और प्रबंधके लिये मध्यस्थ पुलि. स मौजूद ही है। चन्द्रसेन जैन वैद्य, मंत्री श्री जैनतत्त्व प्रकाशिनी सभा इटावा अजमेर ता० ३० जून १९९२ प्रातःकाल सबसे प्रथम पत्र द्वारा स्वामीजीको भेज दिया गया और पश्चाद् यही छपाकर सर्वसाधारणमें वितीर्ण कर दिया गया। इसके उत्तर में बारह बजेके लगभग स्वामी जीका निम्न पत्र भर्थातः॥श्रो३म् ॥ . नं. ३१३ . श्रीमन्-नमस्ते! आपका पत्र त०३० जन १९१२ का अभी ह॥ वजे प्राप्त हुआ उत्तर में निवेदन है कि वैदिक धर्मावलम्बियोंके लिये इससे अधिक प्रसन्नताकी बात और क्या हो सकती है कि मतं मतान्तरों के लोग सभ्यता पूर्वक पारस्परिक प्रेममावसे लक्षण प्रमाणोंकी दार्शनिक मर्यादानसार स्वमन्तव्यामन्तव्य पर विचार करके सत्यके ग्रहण और असत्य के त्याग करने में तत्पर हों। दो से५ बजे तक गोदों को नंसियां नामक स्थान में नियम पूर्वक शास्त्रार्थ करना स्वीकार है तदनुसार उपस्थित रहूंगा । कृपया एक ऐसे प्रधानका प्रबंध करें जो नियमादि पालन करानेका यथावत् प्रबंध कर सके। 'भवदीय-दर्शनानन्द सरस्वती . ३०।६। १२ । ११ बजे प्रातः और एक बजेके लग भग भार्यसमाजकी ओरसे निम्र विज्ञापन प्राप्त हुआ। ॥ प्रोम् ॥ - जैनियों से शास्त्रार्थ । सर्व साधारणको सूचना दीजाती है कि आज तारीख ३०-६-१२ ई० को दुपहरके २ बजेसे गोदोको मसियम जैनियों की मिनासानुसार श्रीमान् खानी
SR No.032024
Book TitlePurn Vivaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Tattva Prakashini Sabha
PublisherJain Tattva Prakashini Sabha
Publication Year1912
Total Pages128
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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