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________________ १३ अथ षष्ठाक्षतपूजा पारम्भः दूहा. स्वस्तिक विरचे भावसे । चाढे मुक्ता निधान ताघर कमला आनके । वास करें सत्यजान ॥ १ ॥ ढाल छडी. आज आनंद भयो । सद्गुरु चरणसरोज भ्रमरमनमेरो लिपट रह्यो | आंकडी ॥ गुरु तारण तरण जिहाजा | सद्गुरु रखीये मेरि लाजा । मेंहुं अभागी सिरताजा ॥ आज० ॥ १॥ में आन पड्यो कारागारा । दुःख मोसें सह्यो नहिं जाय जरा । गुरु करना सुदृष्टि आजभला ॥ आज० ॥ २ ॥ लुलुलु ल सद्गुरु पावां लागुं । कक्क कक्क सूरि नामा भाखुं । दिन रात जपुं हियडे राखुं ॥ ॥ आज० ॥ ३ ॥ में अपराध कीया बहू तेरा सो । सब खमिये सद्गुरु मेरा । संकट काट करो निवेरा ॥ आज० ॥ ४ ॥ नाम जपत चट बेडि टूटी । सात पुडतकी भखसी फुटी । महीपति हाथ जोडे झट उठी आज० ॥ ५ ॥ सोम कहे धन धन गुरु राया । आप गुननके पार न पाया। नामसें भाजे संकट छाया । आज० ॥ ६ ॥ ये चित धार दरसकी ठानी। शंका आंनगि राखलमानी । साचलमात जरा रिसयानी ॥
SR No.032023
Book TitleBruhat Puja Aur Laghu Puja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTribhuvandas Amarchand Salot
PublisherJograjji Chandmallji Vaid
Publication Year1916
Total Pages28
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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