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________________ असहायः पुमानेकः, कार्यान्तं नाधिगच्छति । तुषेणापि विनिमुक्त-स्तण्डुलो न प्ररोहति ॥ Sto+Geet ॥ मुनिसम्मेलन ॥ PORT न्यायांभोनिधि श्वेतांबर जैनाचार्य श्री १०८ श्रीमद्विजयानंद सूरि ( आत्मारामजी) महाराजजीके शिष्य प्रशिष्यादि। मुनिमंडलका देश गुजरात शहर बडौदामें हुआ हुआ समेलन. 06 MEROLAGOOGLEASE @ लेखक. अमृतसर निवासी पंडित हीरालाल शर्मा. मेनेजर श्री आत्मानंद जैन लॉयब्रेरी ( अमृतसर पंजाब. ) प्रसिद्धकर्ता. अजमेर निवासी-शेठ हीराचंदजी सचेती। तथा । लाला चुनीलाल दुग्गड-अमृतसर निवासी. co:-91- 88. वडोदरा कोठीपोळ सामे भाउकाळेनी गलीमां लक्ष्मीविलास ' प्रेस कं. लि. मां पटेल छोटालाल लालभाइए छाप्यु. (ता. २०-८-१२) प्रति २०००. श्री वीर संवत् २४३८ विक्रम संवत् १९६९ श्री आत्म संवत् १७ ई. सन १९१२
SR No.032021
Book TitleMuni Sammelan 1912
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Sharma
PublisherHirachand Sacheti
Publication Year1912
Total Pages58
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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