SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 2
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 66 ॥ ॐ ॥ मुनिसम्मेलन. "" परलोकवासी प्रातःस्मरणीय जैनाचार्य्य न्यायांभोनि अधि श्री १००८ श्रीमद्विजयानंद सूरीश्वर ( श्री आत्मारामजी ) महाराजके साधुओंकी १३ जून सन् १९१२ गुरुवारको देश गुजरात राजधानी बडौदा उपाश्रय जानीशेरीमें एक महती सभा हुई थी. तीर्थ यात्राके सबब मुझेभी इस सभाके देखनेका सौभाग्य मिला. उक्त परिषद में जो जो प्रस्ताव पास हुए हैं उनका वर्णन पाठकों के दर्शनार्थ आगे किया जावेगा. सबसे प्रथम यह कह देना उचित समझता हूं कि, सभापतिजी वा अन्य महात्माओंकी वक्तृताका अक्षरशः अनुवाद करना तो दुस्साध्य ( मुश्किल ) है; परंतु आशय वर्णन करने में संभव है कि त्रुटि न होगी. उक्त सभाका प्रथमाधिवेशन साढेआठसे साढेदश बजे तक हुआथा. सभापतिके आसनको जैनाचार्य श्री विजयकमलसूरिजीने सुशोभित कियाथा. दर्शक स्त्री मनुष्योंका समुदाय अनुमान एक सहस्रसे अधिक मालूम देताथा. नियत समयपर सभापतिजीनेभी अपने आसनको अलंकृत किया. आपके आगमनमें जयध्वनिसे मनुष्योंने जो उत्साह प्रकट किया वह एक असाधारण था.
SR No.032021
Book TitleMuni Sammelan 1912
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Sharma
PublisherHirachand Sacheti
Publication Year1912
Total Pages58
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy