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________________ नहीं है कि जब तक दूसरे पक्षवाले लेखिनी हाथमें नहीं ली वहां तक ही अच्छा है अगर तुमारे शब्दोंका ही प्रयोग तुमारे जावराके जालम -मदसोरकी नंदलिला-चीतोडकी गणेशचौथ सादडीकी देवमायादिके लिये किया जावेगा तो आपकी कूटनीति का क्या फल होगा वह नैत्रबन्धकर क्षणभर सोच लिजिये / जैन पथ प्रदर्शक के लेखक के लिये “पागल ढुंढकोंके लिये रामबाण दवा" की पहली गोली तय्यार हो चुकी है वह गोली एक वर्षकी बैमारी को रफे करदेगा. _ ढुंढक लोग एक तरफतो आपसमें प्रेम-ऐक्य बढानेका उपदेश कर रहे है और दूसरी तरफ हमारे परमपूज्य धर्म धुरंधर आचार्यों की निंदा और हमारे पवित्र शास्त्रों में पाठ के पाठ निकालनेकी तस्करवृत्ति कर रहै है पर याद रखिये ढुंढकों! तुमारी इस मायावृत्तिसे न तो आपसमें प्रेम-ऐक्य बढेगा और न समाजकी उन्नति होगा बल्के दोनो तरफकी शक्तियोंका दुरुपयोग होने से क्लेश कदागृहके सिवाय कुच्छ भी फल न होगा वास्ते पहले के उत्सूत्र रूपी श्रीपालचरित्र बनानेका प्रायश्चित ले भविष्यके लिये इस तस्करवृतिको बिलकुल बन्ध कर देना ही आप लोगोंके लिये कल्याणका कारण होगा / अगर इतने पर भी आपकी बैमारी दूर न होगी ओर आप अपनी आदत से लाचर हो आगे कदम रखेंगे तो आपके लिये हमारे पास भी मशाला कम नहीं है पुरांणासे पुरांणा नयासे नया और एक इनाममें दीया जावेगा इस बातको ठीक ध्यानमें रख लिजिये इत्यलम् / ... आपकी आत्माका सञ्चा हितैषी ... मुनि गुणसुन्दर.
SR No.032009
Book TitleEk Prasiddh Vakta Ki Taskar Vrutti Ka Namuna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGunsundarsuri
Publisher
Publication Year
Total Pages16
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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