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________________ विषय भूख की भयानकता घर पर हम कुछ खा रहे हों और भिखारी आ जाए तो अपने बुजुर्ग नहीं कहते, 'अरे, सँभालना, नज़र न लग जाए ?' यह नज़र लगना यानी क्या कि जिसकी भूख लगती है, उसमें चित्त का चिपकना, वह । स्त्री को पुरुष की भूख हो, तो स्त्री का चित्त पुरुष में चिपक जाता है। स्त्री की भूख हो, तो स्त्री को देखते ही पुरुष का चित्त स्त्री में चिपक जाता है । इस तरह नज़र लगने से बिगड़ा है यह सब । सिर्फ 'ज्ञानीपुरुष' को ही किसी की नज़र नहीं लगती। कोई उन पर नज़र गड़ाए फिर भी 'ज्ञानीपुरुष' उसके शुद्धात्मा ही देखते हैं, इसलिए कुछ छूता नहीं । ये छोटे बच्चे खूबसूरत होते हैं, इसलिए घरवाले उसके कपाल पर काला टीका लगाते हैं। ताकि नज़र न लगे! कोई भूखा व्यक्ति उसे देखे, फिर भी चित्त न चिपके । इसलिए काला टीका लगाते हैं I दर्शन मोह से खड़ा है संसार अनंत जन्मों से दर्शन मोह के कारण ही यह संसार जंजाल खड़ा हो गया है। जब सम्यक् दर्शन होता है, तब दर्शन मोह टूटता है। जगत् क्यों खड़ा है? दर्शन मोह से । इतना कुछ करने के बावजूद भी क्यों मुक्ति प्राप्त नहीं कर पाते ? दर्शन मोह बाधक है । किसी व्यक्ति ने रात को खाना खाया, लेकिन सवेरे फिर से ज़ोरदार भूख लगे, तो वह सुनार की दुकान या साड़ी की दुकान नहीं देखता । लेकिन उसे तो हलवाई की दुकान ही दिखाई देगी। ऐसा क्यों ? उसका चित्त खाने के लिए ही भटकता रहता है ? देह में जब भूख का 'इफेक्ट' होने लगे, तब खाने का मोह होता रहता है, वह दर्शन मोह है। देह को विषय की भूख लगे तो स्त्री के प्रति मोह जागता है। इस तरह इस दर्शन मोह से तो अगले जन्म के बीज डालता है न? इससे अगले जन्म का संसार खड़ा करता है । वीतराग को किसी की नज़र नहीं लगती। अतः यदि संसार से छूटना हो तो वीतराग बन। लेकिन वीतराग कैसे बन सकते हैं ? जिससे दर्शन मोह टूटे, ऐसा कोई उपाय कर! दर्शन मोह से संसार खड़ा है। २०५ आपने कहीं अच्छी भिंडियाँ देखीं, तो आपकी आँखें वहीं चिपक जाती हैं। कुछ अच्छा देखे, वहीं नज़र चिपक जाती है । नज़र चिपकी कि
SR No.030110
Book TitleSamaz se Prapta Bramhacharya Uttararddh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2013
Total Pages326
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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