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________________ समझ से प्राप्त ब्रह्मचर्य (उत्तरार्ध) का क्षय होगा।' शास्त्रों में पढ़ते हैं कि स्त्री के प्रति राग मत करना लेकिन स्त्री को देखते ही वापस भूल जाते हैं, उसे 'देखतभूली' कहा है। मैंने तो आपको ऐसा ज्ञान दिया है कि अब आपको 'देखतभूली' भी नहीं रही, आपको शुद्धात्मा दिखाई देते हैं। बाहरी पैकिंग चाहे कैसी भी हो, फिर भी पैकिंग के साथ हमें क्या लेना-देना? पैकिंग तो सड़ जाएगा, जल जाएगा, पैकिंग से क्या मिलेगा? इसलिए ज्ञान दिया है कि आप शुद्धात्मा देखो ताकि ‘देखतभूली' टले! ‘देखतभूली' टले यानी क्या कि यह जो मिथ्या दृष्टि है, वह दृष्टि बदले और सम्यक् दृष्टि हो जाए तो सभी दुःखों का क्षय होगा! फिर वह भूल नहीं होने देगी, दृष्टि आकृष्ट नहीं होगी। १९६ हम सब तो सामनेवाले व्यक्ति में शुद्धात्मा ही देखते हैं, फिर हममें और कोई भाव कैसे उत्पन्न होगा ? वर्ना मनुष्य को तो कुत्ते पर भी राग होता है। बहुत अच्छा सुंदर कुत्ता हो, तो उस पर भी राग हो जाता है। लेकिन यदि आप शुद्धात्मा देखो तो राग होगा ? इसलिए आप शुद्धात्मा ही देखना। यह 'देखतभूली' टले ऐसी है नहीं । और यदि टल जाए तो सर्व दुःखों का क्षय हो जाए। यदि दिव्यचक्षु होंगे तो 'देखतभूली' टलेगी, वर्ना कैसे टले? विज्ञान से विषय पर विजय प्रश्नकर्ता : इसका मतलब यह हुआ कि राग भी नहीं होना चाहिए और भूल जाना चाहिए ? I दादाश्री : अपना यह ज्ञान ऐसा है कि राग हो, ऐसा तो है ही नहीं। लेकिन जब आकर्षण हो, उस घड़ी उसके शुद्धात्मा देखोगे, तो आकर्षण नहीं होगा। ‘देखतभूली' यानी देखे और भूल हो जाती है। जब तक नहीं देखा हो तब तक कोई भूल नहीं होती और देखा कि भूल हो जाती है जब तक आप कमरे में बैठे रहो, तब तक कुछ नहीं होता लेकिन शादी में गए और देखा, कि फिर से वापस भूलें होने लगती हैं। वहाँ पर यदि आप शुद्धात्मा देखते रहो तो दूसरा कोई भाव उत्पन्न नहीं होगा और पूर्व कर्म के धक्के से यदि भाव उत्पन्न हो गया, तो उसका प्रतिक्रमण कर लेना,
SR No.030110
Book TitleSamaz se Prapta Bramhacharya Uttararddh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2013
Total Pages326
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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