SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 134
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ विषय बंद, वहाँ लड़ाई-झगड़े बंद चाहिए। भीख माँगने की हद होनी चाहिए या नहीं ? कितनी हद होनी चाहिए? एक बार कहो कि, 'ज़रा तैयारी करना ।' तब यदि वह कहे, 'ए जी नहीं।' तब कहना, 'ये चले, नहीं चाहिए, अब बंद ! ' ९७ ये सब तो इतने लाचार हो गए हैं सब । आदमी कैसा पावरवाला होना चाहिए! पूरी ज़िंदगी के लिए ब्रह्मचर्य का नियम लेनेवाला । अब्रह्मचर्य से संबंधित विचार तक नहीं आए ऐसी प्रतिज्ञाएँ करे I यानी गंदगी ही है यह सारा जगत् । कोई ऐसे (भौतिक रूप से) गंदगी कहता है, कोई वैसे (आध्यात्मिक रूप से) गंदगी कहता है । शादी करने में वैराग्य नहीं आता, इसका क्या कारण है ? अपमान खाने की आदत है इसलिए। अपमान निगल जाने की आदत है! सच्चा पुरुष तो नहीं निगलता न! वह कहलाए तोतामस्ती प्रश्नकर्ता : बाकी सभी फाइलों को तो मानो दाल में तड़का देकर खा सकें ऐसे हैं, लेकिन दो नंबर की फाइल का किस दाल में तड़का लगाएँ? दादाश्री : दो नंबर की फाइल के साथ नहीं हो सकता । दो नंबर की फाइल ने तो यदि 'ज्ञान' लिया हुआ हो और जब टकराव हो जाए, तब उसे ‘व्यवस्थित' समझती है। कौन टकराव कर रहा है यह जाने, मुक्त होगा। तब प्रश्नकर्ता : ऐसा तो समझते हैं कि ये कर्म टकरा रहे हैं। लेकिन उसका रास्ता तो निकालना पड़ेगा न ? सोल्युशन (हल) तो ढूँढना पड़ेगा न? दादाश्री : उसका सोल्युशन तो होता है, लेकिन लोगों के मनोबल कच्चे होते हैं न! मनोबल कच्चे हों तो क्या करे, बेचारा ? सोल्युशन में तो क्या कि आप कुछ हिस्सा है, उसे बंद कर दो तो तुरंत वह शांत हो जाएगा सभी। लेकिन मनोबल कच्चे हो तो क्या करे ?
SR No.030110
Book TitleSamaz se Prapta Bramhacharya Uttararddh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2013
Total Pages326
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy