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________________ समझ से प्राप्त ब्रह्मचर्य (उत्तरार्ध) नहीं करना', ऐसा उपदेश कैसे दे सकेगा? जोखिम को समझना नहीं पड़ेगा क्या? जगत् में कोई यह जोखिम बताएगा नहीं। लोग तो 'आप बहुत अच्छे हैं, बहुत अच्छे हैं', ऐसा बोलेंगे। ये लोग तो अच्छा-अच्छा ही बोलेंगे न ! उनका क्या जाता है? चंदूभाई से पाँच सौ रुपये लेने होंगे तो कहेंगे 'चंदूभाई संतपुरुष हो गए हैं'। तो फिर पाँच सौ रुपयों का चेक लिख देंगे। परायी औरत के साथ घूमेंगे तो लोग उँगली उठाएँगे न? अतः यह समाजविरोधी है और दूसरी अंदर भी बहुत तरह की मुसीबतें होती हैं। नर्क की वेदना यानी इलेक्ट्रिक गैस में लंबे समय तक जलते रहना! एक इलेक्ट्रिक गरमी की वेदनावाला नर्क है और दूसरा ठंड की वेदनावाला नर्क है। वहाँ इतनी ठंड होती है कि वहाँ पावागढ़ पर्वत डालें तो सारा का सारा पर्वत कण-कण होकर बिखर जाए, उसके टुकड़े इतने बड़े-बड़े नहीं होंगे! इतनी ठंड है। लेकिन अभी अंतिम तीन नर्क बंद हो गए हैं। यह गरमीवाला जोखिम अभी तक है। ठंडवाला जोखिम बंद हो गया है। अभी ऐसे पाप करनेवाला कोई है ही नहीं। ये जंतु क्या पाप कर सकेंगे बेचारे! राशन और मिलावटवाला माल लाकर खानेवाले कितने पाप कर पाएँगे? अतः आजकल ऐसे पाप करनेवाले पैदा ही नहीं होते कि अंतिम तीन नर्कों में जाएँ। बाकी, ये छोटे-छोटे पाप करनेवाले सभी लोग पहली चार नर्कों में जाते हैं। उसमें भी यदि वह ऐसा कोई बड़ा शूरवीर(!) होगा, तभी उसके लिए वे नर्क खुलेंगे। पाप करना नहीं आए, उसका क्या हो? ये सभी तो आपस में अंदर ही अंदर मारपीट करते रहते हैं, बाहर नहीं मारते। प्रश्नकर्ता : लेकिन प्रकृति विषयी नहीं है, वह कैसे? दादाश्री : प्रकृति विषयी नहीं है, वह तो सिर्फ परस्त्री के अलावा कहा है। लोग तो उल्टा अर्थ पकड़ लेते हैं। मेरे शब्दों को तुझे अपनी भाषा में उल्टा ले जाना हो तो तुझे देर लगेगी क्या? फिर यदि आप परस्त्री और दूसरे सारे जोखिम को लेकर उल्टा समझो तब तो फिर दुनिया में आपको जैसा ठीक लगे वैसे ही चलना है, ऐसा हो गया न! लेकिन परस्त्री के तो कितने सारे जोखिम हैं ! वह जहाँ जाएगी, वहाँ आपको जाना पड़ेगा, उसे माँ बनाना पड़ेगा! आज कई बेटे ऐसे हैं कि जो पूर्वभव की अपनी
SR No.030110
Book TitleSamaz se Prapta Bramhacharya Uttararddh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2013
Total Pages326
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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