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________________ अणहक्क के विषयभोग, नर्क का कारण रखैल की कोख से जन्मे हैं । वह मुझे ज्ञान में भी दिखा है। बेटा ऊँची कौम का होता है और माँ नीची कौम की होती है, माँ नीची कौम में जाती है और बेटा ऊँची कौम में से नीची कौम में आ जाता है । देखो भयंकर जोखिम! पिछले जन्म में जो पत्नी थी, वही इस जन्म में माँ बनती है । और इस जन्म में माँ हो तो वह अगले जन्म में पत्नी बनती है। ऐसे जोखिमवाला है यह जगत् ! बात को संक्षेप में समझ जाना! प्रकृति विषयी नहीं है, यह बात मैंने दूसरे अर्थ में कही थी। लेकिन यह तो हम पहले से कहते आए हैं कि सिर्फ यही एक जोखिम है। दोनों सहमत, फिर भी जोखिम प्रश्नकर्ता: दोनों ही सहमत हों तो भी जोखिम है क्या ? दादाश्री : सहमति हो फिर भी जोखिम है। दोनों परस्पर खुश हों, तो उससे क्या फ़ायदा हुआ ? वह जहाँ जानेवाली हो, वहीं आपको भी जाना पड़ेगा। आपको मोक्ष में जाना है और उसके धंधे ऐसे हैं, तो आपकी क्या दशा होगी? कैसे मेल पड़ेगा ? इसीलिए हर एक शास्त्रकार ने हर शास्त्र में विवेक के लिए कहा है कि शादी करना । वर्ना आवारा पशु रहा तो किस का घर सलामत रहेगा? फिर 'सेफसाइड' ही क्या रही ? किस प्रकार की ‘सेफसाइड' (सलामती) रहेगी ? तू बोलता क्यों नहीं ? पिछली चिंता में पड़ गया क्या? प्रश्नकर्ता : हाँ। दादाश्री : मैं तेरा सब धो दूँगा । हमें तो इतना चाहिए कि आज हमसे मिलने के बाद कोई गड़बड़ नहीं है न ? पिछली गड़बड़ होगी तो उससे छूटने के हमारे पास अनेक प्रकार के उपाय हैं। तू मुझे अकेले में बता देना, मैं तेरा वह सब तुरंत धो दूँगा । कलियुग के मनुष्य से क्या भूल नहीं होती! कलियुग है और भूल नहीं हो, ऐसा होगा ही नहीं न! ब्रह्मचर्य के इच्छावान को बचाए ज्ञान तेरी इच्छा टूट गई है क्या ? ६५
SR No.030110
Book TitleSamaz se Prapta Bramhacharya Uttararddh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2013
Total Pages326
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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