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________________ १९२ २५० [१२] २५९ २६१ [८] वहाँ पर दादा की मौन सख्ती २३८ स्पर्श सुख की भ्रामक मान्यता आप्तपुत्रों के लिए दफाएँ २४० देखते ही जुगुप्सा [११] रोंग बिलीफें, रूट कॉज़ में १९३ सेफ साइड तक की बाड़ वह आवाज़, मन की ही १९४ आवश्यकताएँ, ब्रह्मचर्य के... २४३ स्पर्श सुख के जोखिम १९६ संग, कुसंग के परिणाम २४४ स्त्री का स्पर्श लगे विष समान १९७ लश्कर तैयार करके उतरो... दोनों स्पर्शों के असर में भिन्नता २०० विषयी वातावरण से फैला... आकर्षण, वह है मोह २०३ नहीं सुननी चाहिए विषयी... २४९ जहाँ आकर्षण है, वहाँ... २०५ समभावियों का समूह नियम आकर्षण - विकर्षण के २०८ संगबल की सहायता... एक बार भोगा कि गया २१० मुक्त दशा का थर्मामीटर तितिक्षा के तप से गढ़ो मन-देह भटकती वृत्तियाँ चित्त की २१३ सीखो पाठ तितिक्षा के २५४ चित्त की पकड़, छूटती... २१४ विकसित होता है मनोबल.... २५७ [९] उपवास-उणोदरी मात्र... 'फाइल' के सामने सख़्ती ज्ञानियों ने नवाज़ा है उणोदरी.... विकारी दृष्टि के सामने ढाल २१६ आहार जागृति से रक्षा करना.... विकारी चंचलता २१८ आहार में घी-शक्कर करवाते... २६४ फाइल बन गई, वहाँ... २१८ नहाना भी है, निमंत्रण... २६६ सामने 'फाइल' आए, तब... | २२० जीना है, ध्येय अनुसार २६८ लकड़ी की पुतली अच्छी २२१ कंदमूल पोषण दें विषय को २६९ अग्नि और 'फाइल' एक से २२२ [१३] काटो सख्ती से 'उसे' २२३ न हो असार, पुद्गलसार वहाँ है चोर नीयत २२५ पुद्गलसार है, ब्रह्मचर्य २७१ सख्त, इस तरह हो सकते हैं २२७ अहो, अहो! उन आत्मवीर्यवालों...२७३ तोड़ा जा सकता है लफड़ा... २२८ बरते वीर्य, जहाँ जहाँ रुचि २७४ अपना बनाया कहकर डियर... २३० उपाय करना, स्वप्नदोष टालने... २७५ [१०] वीर्यशक्ति का ऊर्ध्वगमन कब? २७७ विषयी आचरण? तो डिसमिस जोखिम, हृष्ट-पुष्ट शरीर के यहाँ किए हुए पाप से मिले... २३३ निरोगी से भागे विषय नहीं शोभा देता वह २३४ ज्ञानी की सूक्ष्म बातें फिसलना सहज, यदि एक... २३५ उल्टी हो गई तो क्या मर... न हो संग संयोगी २३५ विचार : मंथन : स्खलन 51 २६३
SR No.030109
Book TitleSamaz se Prapta Bramhacharya Purvardh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2014
Total Pages482
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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