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________________ १३५ १५१ १५२ १५३ [३] १५५ लिंक जारी, उसका जोखिम ७६ जुदापन से जीत सकते हैं हार-जीत, विषय की या... ७७ सत्संग में भी सतर्क रहना है १३८ उसके सेवन से पात्रता ७८. मन की पोलों के सामने... १३९ मजबूरी से पाशवता ८१ बुद्धि की वकालत, बिना फीस... १४५ [२] बढ़ता है विषय की लिंक से... १४६ दृष्टि उखड़े, 'थ्री विज़न' से कला से काम निकालो १४७ 'रेश्मी चादर' के पीछे ८४ अद्भुत प्रयोग, थ्री विज़न का ८७ नहीं चलना चाहिए, मन के कहे अनुसार खरा ब्रह्मचर्य, जागृतिपूर्वक का ९१ ज्ञान से करो स्वच्छ, मन को १५० उपयोग जागृति से, टलता है मोह... ९२ वर्ना मन हो जाए ढीला मोह राजा का अंतिम व्यूह ९५ विरोधी के पक्षकार? विषय में 'छिपी हुई रुचि'... ९७ मन चलाए, मंडप तक... ध्येय का ही निश्चय दृढ़ निश्चय पहुँचाए पार । ___सामायिक में चलन, मन का १५६ जो कभी न डगमगाए, वही... १०१ ध्येय अनुसार चलाओ... १६१ पकड़े रखे निश्चय को ठेठ तक.... १०३ भले ही शोर मचाएँ समझो निश्चय के स्वरूप को... १०४ नहीं चलेगा वेवरिंग माइन्ड... निश्चय के परिपोषक जहाँ सिद्धांत है ब्रह्मचर्य का... इतना ही सँभाल लेना ज़रा १०८ कहीं पोल को पोषण तो नहीं... ११० चलो, सिद्धांत के अनुसार १६८ नहीं चल सकता अपवाद... ११२ निश्चय, ज्ञान और मन के १७१ परुषार्थ ही नहीं. लेकिन पराक्रम... ११३ आप्तपुत्रों को पात्रता निश्चय मांगे सिन्सियारिटी ११५ [६] 'रिज पॉइन्ट' पर रहे जोखिम... ११६ ‘खुद' अपने आपको को डाँटना दृढ़ निश्चयी पहुँच सकते हैं ११८ खुद को डाँटकर सुधारो १७४ अधूरी समझ, वहाँ निश्चय कच्चा ११९ पूरा करो प्रकृति को पटाकर १७८ क्यों गाड़ियों से नहीं टकराता? १२१ [७] जहाँ चोर नीयत, वहाँ नहीं है... १२२ पछतावे सहित प्रतिक्रमण विषय के विष की परख क्यों... १२४ प्रत्यक्ष आलोचना से, नकद.... १८० 'उदय' की परिभाषा तो समझो १२६ जहाँ इन्टरेस्ट, वहाँ करो.... १८१ पदृढ़ निश्चय को कैसे अंतराय? १२८ विषय से संबंधित सामायिक... १८२ [४] विषयों में सुखबुद्धि किसे? विषय विचार परेशान करें तब... हे गाँठों! हम नहीं या तुम.... वह तो है भरा हुआ माल १३२ विषय बीज निर्मूल शुद्ध... १७० 50
SR No.030109
Book TitleSamaz se Prapta Bramhacharya Purvardh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2014
Total Pages482
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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