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________________ चेतन कर ले विचार, विषय अंत में धिक्कार, अणहक्क बाँधे नर्कागार, इसलिए चेतकर चल। चेतन कर ले विचार, अग्नि और पेट्रोल मिलनसार, मिलते विषयी भीषण झाल, इसलिए चेतकर चल। चेतन कर ले विचार, विषय है जलानेवाला, निर्विषयी दादा जैसा बननेवाला, इसलिए चेतकर चल। चेतन कर ले विचार, शील का ग्रही ले अलंकार, कल्याणी हेतु आकर्षनार, इसलिए चेतकर चल। चेतन कर ले विचार, थ्री विज़न से विषय जीतनार, दादापुत्र बनो आप होनहार, इसलिए चेतकर चल। चेतन कर ले विचार, स्पर्श दोष ज़हरीला अपार, चेत नहीं तो तू फिसलनार, इसलिए चेतकर चल। चेतन कर ले विचार, विषय से बंधे नर्कागार, आलोचना एक ही उबारनार, इसलिए चेतकर चल । चेतन कर ले विचार, भयंकर विषय दोष का बोझ, आलोचना करके उतार, इसलिए चेतकर चल। चेतन कर ले विचार, दृष्टि आकर्षित हो जहाँ पलभर, बीज पड़े होते ही तन्मयाकार, इसलिए चेतकर चल । चेतन कर ले विचार, बीज दो पत्तियों से फूटनार, उखेड़ तत्क्षण दूर फेंकनार, इसलिए चेतकर चल । चेतन कर ले विचार, दो पत्तियाँ फिर तेरी हार, सूक्ष्म में वीर्य स्खलन थनार, इसलिए चेतकर चल। चेतन कर ले विचार, दृष्टि से सूक्ष्म गलन थनार, स्थूल में फिर न कोई रोकनार, इसलिए चेतकर चल 46
SR No.030109
Book TitleSamaz se Prapta Bramhacharya Purvardh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2014
Total Pages482
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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