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________________ चेतन कर ले विचार, चेतन कर ले विचार, उखाड़ कोंपल तत्वार, विषयों चित्त उपचार, अटके स्खलन था होशियार, निदिध्यासन एक ही सार, इसलिए चेतकर चल। इसलिए चेतकर चल। चेतन कर ले विचार, चेतन कर ले विचार, विषय विचारे तन्मयाकार, बुद्धि से माना सुखसार, मंथन से वीर्य स्खलनार, विषय में कहाँ सुख तलभार? इसलिए चेतकर चल। इसलिए चेतकर चल। चेतन कर ले विचार, चेतन कर ले विचार, मन कमज़ोर पड़े फिर भी मत हार, ब्रह्मचर्य का क्या आधार? दादाई कृपा अपरंपार, समझ से या अहंकार? इसलिए चेतकर चल। इसलिए चेतकर चल। चेतन कर ले विचार, चेतन कर ले विचार, चित्त से खींचे फोटो बार-बार, वीर्य है पुद्गलसार, प्रतिक्रमण करके धोना कोटि बार, वह जीतने से प्राप्त समयसार, इसलिए चेतकर चल। इसलिए चेतकर चल। चेतन कर ले विचार, चेतन कर ले विचार, चित्त को बिखरने मत देना. खुद जैसा जग करनार. आत्म ऐश्वर्य लटनार, कैसे चले ध्येय तोडनार, इसलिए चेतकर चल। इसलिए चेतकर चल। चेतन कर ले विचार. चेतन कर ले विचार, चित्त का ऐसा है धिरधार, अखंड ब्रह्मचर्य की धार, एक बार टिके, वहीं जनार, मर जाना, लेकिन न चुकनार, or इसलिए चेतकर चल। इसलिए चेतकर चल। 47
SR No.030109
Book TitleSamaz se Prapta Bramhacharya Purvardh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2014
Total Pages482
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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