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________________ चेत रे ब्रह्मचारी.... चेतन कर ले विचार, दगा जैसा है संसार, मोक्ष के लिए हो जा तैयार, इसलिए चेतकर चल। चेतन कर ले विचार, चटनी के लिए खोया थाल विषय में तृप्ति नहीं ज़रा भी, इसलिए चेतकर चल। चेतन कर ले विचार, गाफिल होना नहीं ज़रा भी, दृष्टि दोष से कायम संसार, इसलिए चेतकर चल। चेतन कर ले विचार, शादी की फाइल है तैयार, कसौटी का यह तेरा काल, इसलिए चेतकर चल। चेतन कर ले विचार, विषय कीचड़ में डूबनेवाले, विश्व में नहीं मिलते हाथ पकड़नेवाले, इसलिए चेतकर चल। चेतन कर ले विचार, निश्चय क्यों डिगाना, आंधी तो आए बार-बार । इसलिए चेतकर चल। चेतन कर ले विचार, हँसकर बात मत लगा, नज़र से नज़र मत मिला, इसलिए चेतकर चल। चेतन कर ले विचार, नखराली नज़रे हो तुच्छकार, कड़ी नज़र में है उपकार, इसलिए चेतकर चल। चेतन कर ले विचार, स्त्री सदा दावा करनार, नौ गज़ से कर रे नमस्कार, इसलिए चेतकर चल। चेतन कर ले विचार, नैनों के लागे गोलीबार, हथियार कुंद होते हार, इसलिए चेतकर चल। चेतन कर ले विचार, कड़ी नज़र के रख हथियार, टूटते पहले बाँध ले बाड़, इसलिए चेतकर चल । चेतन कर ले विचार, चेतना स्त्री के तिरस्कार से, छिपा उसमें विषय का रणकार, इसलिए चेतकर चल। 45
SR No.030109
Book TitleSamaz se Prapta Bramhacharya Purvardh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2014
Total Pages482
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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