SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 45
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ पर माँ-बाप का सुख(!) देखकर उन्हें ज़बरदस्त वैराग्य आ जाता है। भले ही कितना भी आकर्षण हो, लेकिन खूब प्रतिक्रमण करते रहने पर उसमें से छूट सकते हैं। आजकल पति कैसे होते हैं ? पति तो उसे कहते हैं कि एक क्षण भी पत्नी को न भूले! यह तो सारा कचरा! बाहर कितनी ही स्त्रियों के साथ सौदे करते फिरते हैं। इस काल में प्रेम नहीं लेकिन आसक्ति ही देखने को मिलती है। प्रेम भूखे नहीं लेकिन विषय भूखे होते हैं। यह एक तरह की संडास ही कहलाती है, विषय यानी शादी की इसलिए घर का संडास आ गया, वर्ना बाहर जहाँ-तहाँ जाते फिरेंगे! उसके बिना चारा ही नहीं है न, इसलिए! जिसे एकावतारी पद प्राप्त करके मोक्ष में ही जाना है, उसे सबसे पहले ज्ञानी से आत्मज्ञान प्राप्त करना पड़ेगा। फिर आज्ञा में आकर ब्रह्मचर्य पालन करेंगे तभी हो पाएगा। स्त्रियों को इसके अलावा मोह और कपट से पूर्णत: मुक्त होना पड़ेगा। परपुरुष के लिए विचार तक नहीं आना चाहिए। और यदि आ जाए तो तुरंत ही प्रतिक्रमण करके धो देना पड़ेगा। जो मिश्र-चेतन से सावधान रहा, उसका कल्याण हो गया! मिश्रचेतन के साथ यदि विकारी संबंधों की लपेट में आ गए तो जानवर गति में खींच ले जाएगा! ज्ञानीपुरुष के पास खुद का कल्याण कर लेना है। खुद कल्याण स्वरूप हो जाए तो उससे बिना कुछ बोले दूसरों का कल्याण हो जाएगा। बोलते रहने से या भाषण देने से कुछ नहीं होता। चारित्र की मूर्ति देखते ही सभी भावों का शमन हो जाता है! इसलिए प्योर बनना है, शीलवान बनना है! -- डॉ. नीरूबहन अमीन - जय सच्चिदानंद 44
SR No.030109
Book TitleSamaz se Prapta Bramhacharya Purvardh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2014
Total Pages482
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy