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________________ मुंबई जाते हैं, उससे क्या बाकी शहरों से अंतराय डाला ऐसा कहा जाएगा? ब्रह्मचर्य पालन करने से कर्म बंधते हैं? अज्ञानदशा में ब्रह्मचर्य पालन करने से पुण्य बंधता है और अब्रह्मचर्य से पाप बंधता है। लेकिन अक्रम ज्ञान से तो कर्म ही नहीं बंधता। दोनों डिस्चार्ज ही माना जाता है। इसमें कर्ता बनकर ज्ञानी की आज्ञा सहित पालन करते हैं, उतना ही चार्ज है। ब्रह्मचर्य इटसेल्फ डिस्चार्ज है, लेकिन उसके पीछे जो भाव है, वह 'चार्ज' माना जाता है। आज्ञा पालन करने जितना चार्ज माना जाता है। इसका फल सम्यक पुण्य मिलता है। जिससे सीमंधर स्वामी के नज़दीक रहने की सहूलियतें आसानी से मिल जाएँगी। यह सब वैज्ञानिक खोज है दादा की! संपूज्य दादाश्री ब्रह्मचर्य की मजबूती के लिए हर रविवार को पूरी तरह से उपवास करने का नियम देते थे, जिससे विषय का विरोधी बने और ब्रह्मचर्य में बहुत पुष्टि मिले। जिसे लक्ष्मी या विषय से संबंधित विचार ही नहीं आते, देह से अलग रहता है, उसे जगत् भगवान कहे बगैर नहीं रहेगा! १८. दादा देते पुष्टि, आप्तपुत्रियों को परम पूज्य दादाश्री ने बहनों को पुष्टि देकर ब्रह्मचर्य के मार्ग पर मोड़ा है। उनके हाथों आप्तपुत्रियाँ तैयार हुई हैं। अच्छे कपड़े पहने हुए, अप टू डेट युवक को देखकर लड़कियाँ मर्छित हो जाती हैं, लेकिन अंदर माल कितना कचरेवाला होगा, वह नहीं देख सकती ! सुंदरता देखकर ही मूर्छित हो जाती हैं। वहाँ पर फँसना नहीं, वर्ना वह जन्म बिगाड़ देगा। अगले जन्म की गाँठ पड़ जाएगी। दादाश्री ने ऐसा बताया है कि लड़कियों के लिए ब्रह्मचर्य पालन करने में ज़्यादा मुश्किलें हैं। अगर निश्चय नहीं डगमगाए तो गारन्टी से ब्रह्मचर्य पालन कर पाएँगी। थ्री विज़न की जागृति रहेगी तो वह मोह को निकाल पाएँगी। युवाओं को शादी करने के लिए कहें तो वे मना करते हैं। घर 43
SR No.030109
Book TitleSamaz se Prapta Bramhacharya Purvardh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2014
Total Pages482
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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