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________________ अंतिम जन्म में भी ब्रह्मचर्य तो आवश्यक (खं-2-१७) ३५९ साधना, 'संयमी' के संग प्रश्नकर्ता : इन सभी संयमी लोगों को साथ रहना हो, तब तो वह और कहीं जाएगा ही नहीं। दादाश्री : हाँ, ऐसा भी हो जाएगा लेकिन तब तक संभालने की ज़रूरत है। अभी संभाल कच्ची है, इसीलिए वैसा नहीं हो रहा है न? बिना संभाल के तो वहाँ पर सब गलत कहलाएगा। मार खाए बिना वहाँ जाएगा तो गड़बड़ हो जाएगी। खूब मार खाई हो, अच्छी तरह से गढ़ चुका हो, उसके बाद वहाँ जाए तो दिक्कत नहीं आएगी। इन लड़कों को हम जो यह ब्रह्मचर्य संबंधित ज्ञान देते हैं ताकि अभी से उनकी लाइफ बिगड़ न जाए और यदि बिगड़ी हुई हो तो उसे कैसे सुधारे और सुधरी हुई फिर से नहीं बिगड़े और उसकी कैसे रक्षा करे, उतना हम उन्हें सिखाते हैं। हम तो सभी से कहते हैं कि शादी कर लो। बाकी शादी करना या नहीं करना, वह उनके हाथ की बात नहीं है या मेरे हाथ की बात नहीं है या आपके हाथ की बात नहीं है। इन्होंने तो ब्रह्मचर्य को पकड़ लिया है, तो क्या उनके हाथ में यह सत्ता है? कल सुबह यदि फिर से मन बदल जाए तो शादी कर ले, भले ही कुछ भी कर ले, फिर भी 'व्यवस्थित' के आगे कोई कुछ नहीं कर सका है। फिर भी अभी जो इच्छा हो रही है न, उसमें किसी को देखादेखी से इच्छा होती है और किसी को सच्ची इच्छा भी हो सकती है लेकिन 'व्यवस्थित' जो करता है, उसके लिए फिर कोई उपाय ही नहीं है न? इसलिए हम किसी की ज़िम्मेदारी नहीं लेते। हम किसी की ज़िम्मेदारी लेते ही नहीं। हम तो उन्हें मार्ग दिखाते हैं। जिस रास्ते पर चलना हो, वह मार्ग देते हैं। बाकी, हम वचनबल देते हैं लेकिन अगर अंदर उसी का ठिकाना नहीं हो तो उसके लिए हम क्या कर सकते हैं? इस वाणी के तो हम मालिक नहीं है, इस रिकॉर्ड में जो माल था
SR No.030109
Book TitleSamaz se Prapta Bramhacharya Purvardh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2014
Total Pages482
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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