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________________ ३२० समझ से प्राप्त ब्रह्मचर्य (पू) दावा करे तो क्या होगा? इसलिए इसमें सावधान रहने को कहा है। बाकी चीज़ों में अगर गाफिल रहे तो चलेगा। गाफिल रहने का फल यह कि जागृति ज़रा कम रहेगी। लेकिन यह विषय तो सबसे बड़ा जोखिम है, सामनेवाला जिस स्थान पर जानेवाला हो उसी स्थान पर अपने को ले जाएगा! अपने ज्ञान के साथ अब उस स्थान पर हम कैसे रह पाएँगे? एक तरफ जागृति और दूसरी तरफ यह पाश, वह कैसे चलेगा? लेकिन फिर भी हिसाब चुकाना पड़ता है। प्रश्नकर्ता : वह रूपक में तो आएगा न? दादाश्री : हाँ, वह कैसा रूपक में आएगा कि वह स्त्री दूसरे जन्म में अपनी मदर बनेगी, वाइफ बनेगी, यदि विषय संबंधित उसके बारे में सिर्फ एक ही घंटे का ध्यान करे तो! ऐसा है यह! सिर्फ इसी में हमें सावधान रहने जैसा है! बाकी किसी में सावधान रहने को नहीं कहते। विचार ध्यान में तो परिवर्तित नहीं होते न? अंदर विषय का विचार उगे तो क्या करना चाहिए? इन किसानों का ऐसा रिवाज है कि जमीन में इतनी-इतनी कपास वगैरह उग जाए, उसके बाद अंदर साथ में अन्य चीजें घास या बेल उग आए हों तो उन्हें वे निकाल देते हैं। उसे निराई कहते हैं। कपास के अलावा अन्य किसी भी तरह का पौधा दिखाई दे कि तुरंत उसे उखाड़कर फेंक देते हैं। उसी तरह हमें सिर्फ विषय के विचारों को उगने के साथ ही तुरंत उखाड़कर फेंक देना चाहिए, वर्ना पौधे के बड़े हो जाने के बाद उसमें फिर फल आएँगे, उन फलों में से वापस बीज आएँगे। इसलिए इसे तो उगते ही उखाड़ देना, फल आने से पहले ही उखाड़ देना। प्रश्नकर्ता : वह कैसे? दादाश्री : हमारे अंदर विचार बदले तो पता नहीं चलेगा
SR No.030109
Book TitleSamaz se Prapta Bramhacharya Purvardh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2014
Total Pages482
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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