SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 281
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २२८ समझ से प्राप्त ब्रह्मचर्य (पू) 'छोड़ो न उसकी बात, वह तो बहुत खराब है।' अतः यदि उल्टा सोचेगी तो हमें छोड़ देगी! प्रश्नकर्ता : मतलब यदि हमें किसी के प्रति ऐसा बुरा विचार आए तो उसे भी आएगा ही, ऐसा? दादाश्री : कई दिनों तक विचार आते रहें तो सामनेवाले पर उसका असर पड़े बिना नहीं रहता। ऐसा है यह जगत्। इसलिए ऐसा सख्त बोलकर काट दो कि फिर से अपना नाम लेना ही बंद कर दे। दूसरे कई लड़के हैं, वहाँ जा न! यहाँ क्यों आ रही है? उसे ऐसा भी कह सकते हैं कि मेरे जैसा क्रैक हेडेड दूसरा कोई नहीं मिलेगा तो वह भी कहना शुरू कर देगी कि क्रैक हेडेड है। किसी भी रास्ते से छूटना है न हमें! अन्य सभी जगह सयाने बनना न! तोड़ा जा सकता है लफड़ा कला से अब्रह्मचर्य से तो यह सब ऐसा गड़बड़ है ही। प्रश्नकर्ता : फिर खुद की दृष्टि से बाहर ही चले जाते th दादाश्री : विमुख ही हो जाता है! टच ही नहीं रहना चाहिए न! एक लड़की उसे छोड़ ही नहीं रही थी तो फिर किसी दूसरी लड़की को बुलाकर यों ही उसके साथ चलने लगा तो वह झगड़ने लगी! टैकल करना आना चाहिए। इसे कलाएँ आती हैं सभी। छूट गया मेरा भाई! इसे नहीं आती और तरह-तरह की गठरियाँ ही बाँधता रहता है। प्रश्नकर्ता : कला सिखाईएगा। दादाश्री : ये सिखाई तो हैं कितनी सारी! जो अकेले में कहने की होती हैं, वे भी! बंधा हुआ हो न उनमें से, फिर कोई एक जन खुद का तोड़ देने की कोशिश करे लेकिन टूटता नहीं
SR No.030109
Book TitleSamaz se Prapta Bramhacharya Purvardh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2014
Total Pages482
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy