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________________ [९] 'फाइल' के सामने सख़्ती विकारी दृष्टि के सामने ढाल प्रश्नकर्ता : वह यदि मोह का जाल डाले तो उससे कैसे बचें? दादाश्री : तुम्हें नज़र ही नहीं मिलानी है। तुम्हें पता है कि यह जाल खींच लेगा, तो उसके साथ नज़र ही नहीं मिलानी है। __ प्रश्नकर्ता : लेडीज़ के साथ नज़र से नज़र नहीं मिलानी चाहिए? दादाश्री : हाँ, नज़र से नज़र नहीं मिलानी चाहिए और जहाँ तुम्हें लगे कि यहाँ तो फँसाव ही है, तो वहाँ पर तो उससे मिलना ही नहीं चाहिए। तुम्हें तुरंत ऐसा पता चल जाएगा न कि यह बुरी है? प्रश्नकर्ता : व्यवहार में जो अपने जान-पहचानवाले होते हैं, वे आकर हम से बात करें तो उसका हमें समभाव से निकाल करना चाहिए, लेकिन उसमें उसकी दृष्टि खराब हो तो हमें क्या करना चाहिए? दादाश्री : तो तुम्हें नीची नज़र रखकर सारा काम करना चाहिए। छोटी उम्र के हो, इसमें और कुछ नहीं समझते, उसके सामने ऐसा कर देना चाहिए कि और उसे ऐसा ही लगे कि यह
SR No.030109
Book TitleSamaz se Prapta Bramhacharya Purvardh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2014
Total Pages482
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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