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________________ किस समझ से विषय में... (खं-2-1) ५७ ऐसी चीज़ है न कि वह इंसान को फिसला देता है। अगर फिसल जाओ तो उसका खेद मत करना। लेकिन इस जगह पर फिसल सकते हैं, इसलिए वहाँ पर जागृत रहना। बार-बार करना निश्चय दृढ़ ब्रह्मचर्यव्रत लेने के विचार आएँ और यदि उसका निश्चय हो जाए तो उस जैसी बड़ी चीज़ और कौन सी कहलाएगी? वह सभी शास्त्र समझ गया! जिसे निश्चय हो गया कि मुझे अब छूटना ही है, वह सभी शास्त्र समझ गया। विषय का मोह ऐसा है कि किसी निर्मोही को भी मोही बना दे। अरे, साधु-आचार्यों को भी विचलित कर दे! प्रश्नकर्ता : ब्रह्मचर्य का जो निश्चय किया है, उसे ज़्यादा मज़बूत करने के लिए क्या करना चाहिए? दादाश्री : हमें 'निश्चय मज़बूत करना है' ऐसा तय करना चाहिए। प्रश्नकर्ता : एक बार इतना बोलने के बाद हमें हैन्डल तो बार-बार मारना पड़ेगा न? दादाश्री : हाँ, बार-बार वही निश्चय करना है और 'हे दादा भगवान! मैं निश्चय मज़बूत कर रहा हूँ, मुझे निश्चय मज़बूत करने की शक्ति दीजिए।' ऐसा बोलने से शक्ति बढ़ेगी। प्रश्नकर्ता : इस जन्म में तो ब्रह्मचर्य उदय में आया है। फिर अगले जन्म में वह कैसा होगा? दादाश्री : अगले जन्म में भी ऐसा ही आएगा। अभी वह ऐसा ही कहता है कि यह ब्रह्मचर्य तो बहुत अच्छा है, ऐसा ही चाहिए। तो अगले जन्म में भी वह होगा। प्रश्नकर्ता : हमें विचारों पर से पता तो चल जाता है न, कि उदय में कैसा आ रहा है?
SR No.030109
Book TitleSamaz se Prapta Bramhacharya Purvardh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2014
Total Pages482
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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