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________________ ३०४ आप्तवाणी-१३ (पूर्वार्ध) वह श्रृखंला टूटेगी कब? प्रश्नकर्ता : द्रव्यकर्म में से भावकर्म बन रहे हों और भावकर्म में से द्रव्यकर्म का बंध पड़ रहा हो, तो फिर अगर वैसे ही चलता रहेगा तो वह श्रृखंला टूटेगी कब? दादाश्री : भावकर्म अर्थात् चार्ज कर्म। तो उन चार्ज कर्मों में से कर्म डिस्चार्ज होते रहते हैं। अगर वह चार्ज बंद कर दिया जाए तो सोल्युशन आ जाएगा। और वह चलता रहेगा अपने आप, अगर बंद करना आ जाए तो। बंद हो जाए तो मोक्ष हो जाएगा। नहीं तो जब तक बंद नहीं होगा, अगर बंद करनेवाला ऐसा कोई व्यक्ति नहीं है तब तक चलता ही रहेगा, अनंत जन्मों तक। चार्ज और डिस्चार्ज, चार्ज और डिस्चार्ज। कॉज़ेज़ एन्ड इफेक्ट, इफेक्ट एन्ड कॉज़ेज़, कॉज़ेज़ एन्ड इफेक्ट, इफेक्ट एन्ड कॉज़ेज़। चलता ही रहेगा दिन-रात। प्रश्नकर्ता : ऐसा किस तरह पता चलेगा कि कॉज़ेज़ बंद हो गए? दादाश्री : यह ज्ञान दिया है, उससे आपको पता नहीं चला? प्रश्नकर्ता : हाँ। दादाश्री : वही, कॉज़ेज़ तुरंत ही बंद हो जाते हैं। कोई व्यक्ति कहे कि, 'हमारी भूख मिट गई है, ऐसा कैसे पता चलेगा?' तब कहते हैं 'तू खा न, मेरे सामने खा ले न! समझ में आ जाएगा।' कुछ भी हो, खिचड़ी खाए तो भी चलेगा न! खुद को ऐसा पता चलता ही है, अवश्य पता चलता करुणा सहज सदा प्रश्नकर्ता : आप कहते हैं कि ज्ञानी की करुणा सहज होती हैं, डिस्चार्ज कर्म के रूप में नहीं। तो तीर्थंकर जो तीर्थंकर गोत्र बाँधते हैं, वह भावकर्म से है या सहज रूप से? दादाश्री : भावकर्म से बाँधते हैं। भावकर्म से, लेकिन उनकी करुणा
SR No.030023
Book TitleAptavani Shreni 13 Purvarddh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2015
Total Pages518
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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