SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 146
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ [१.५] कैसे-कैसे प्रकृति स्वभाव ५३ देह के मालिक नहीं हैं।' यहाँ पर भी सीधे नहीं रहते? क्या उनका ऑपरेशन करना होता है? मालिकीवाले का ऑपरेशन करना पड़ता है! प्रश्नकर्ता : जो मालिकीवाला हो, उसका ऑपरेशन करना पड़ता है? दादाश्री : हाँ। जिनकी मालिकी नहीं है उनका ऑपरेशन कैसा? मालिकीवाले को नुकसान या फायदा होता है। यहाँ पर फायदा-नुकसान नहीं है। यह तो बस इतना ही है कि दिखावा करते हैं। मालिक नहीं हैं, फिर क्या है? प्रश्नकर्ता : यहाँ पर अपने आप ही रिपेयर हो जाता है? जिस देह में मालिकीपना नहीं है वहाँ पर सारी रिपेयरिंग किस तरह से होती है? दादाश्री : मालिकीपने के वजह से ही घर बूढ़ा हो जाता है और जर्जर हो जाता है। बाकी यदि अपने स्वभाव से बूढ़ा होता है, वह तो उम्र होने पर होता है, लेकिन मालिकीपने की वजह से उसका सबकुछ खराब हो जाता है। प्रश्नकर्ता : स्पीडी असर होता है? मालिकीपने की वजह से स्पीडी असर होता है? दादाश्री : नहीं। मालिकीपने की वजह से अर्थात् वे जो कुदरती असर होते हैं कि 'यह मुझे हुआ,' वैसा होता है, इससे फिर चिपक जाता है फिर। जो ऐसा कहता है कि 'मुझे नहीं हुआ' तो उन्हें कुछ भी नहीं चिपकता। 'जो भी हुआ है वह तो चंदूभाई को हुआ है, उसमें मुझे क्या? मैं हूँ साथ में ऐसा कहना चाहिए हमें। मैं हूँ न आपके साथ चंदूभाई! घबराना मत' ऐसा कहना। ऐसा भी कहकर तो देखो। दर्पण के सामने देखकर कहना, और उसका कंधा थपथपाकर। कोई कंधा थपथपाने नहीं आएगा। पत्नी क्या कहती है? 'मैं आपसे पहले ही कह रही थी न लेकिन आप में समझते नहीं हो तो क्या हो सकता है?' 'अरे भाई! समझ कहा हमारी, अभी इस उम्र में? समझ नहीं है आप में!' अर्थात् संसार तो मूलतः ऐसा ही है।
SR No.030023
Book TitleAptavani Shreni 13 Purvarddh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2015
Total Pages518
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy