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________________ आप्तवाणी-१३ (पूर्वार्ध) हवई बम की तरह फूटेगा । आपकी धोती में घुस जाएगा, उसमें रखनेवाले का क्या दोष बेचारे का ? उसने कपड़े पटाखे के पहने हैं और आप समझते हो कि पटाखा फूटेगा। अरे, ऐसा नहीं है। उसके अंदर बारूद भरा हुआ है हवई बम का! इसलिए हवई बम जैसा गुण देगा। पटाखे में फुलझड़ी का बारूद भरा हुआ होगा तो क्या वह फूटेगा ? नहीं । उसी तरह इन सब में बारूद अदल-बदल हो जाते हैं, इसलिए वैसा है । उसमें मन क्या करे बेचारा? क्या वह बुद्धि को पहुँचता है? क्या बीच में बारूद बदल जाता है? तब फिर क्या होता है? ये पटाखे बनानेवाले जब भरते हैं, तब मज़दूरों से बातें करते-करते इसके बदले उसमें से भर दिया, फिर ऐसा हो जाता है । फिर पटाखा फोड़ते समय हवई बम की तरह घुस जाता है धोती में, जला देता है और फिर लोग शोर मचाते हैं, 'अरे भाई, यह कैसा, यह कैसा ? यह कैसा?' अरे भाई, यह ऐसा है इसी को कहते हैं कलियुग । २४
SR No.030023
Book TitleAptavani Shreni 13 Purvarddh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2015
Total Pages518
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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