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________________ [१.२] प्रकृति, वह है परिणाम स्वरूप से पर उसका चार्ज होना बंद हो जाता है। उसके बाद फिर सिर्फ डिस्चार्ज ही होता रहता है। प्रकृति को भोगते हैं, वह व्यवस्थित है। प्रकृति बनाई वह व्यवस्थित नहीं है। नई उत्पन्न करना वह व्यवस्थित नहीं है। ज्ञान नहीं हो तो नई प्रकृति उत्पन्न करता रहता है फिर । ज्ञान हो तो प्रकृति उत्पन्न होती ही नहीं, कॉज़ेज़ खत्म हो जाते हैं! प्रश्नकर्ता : दादाजी, तो वह प्रकृति इफेक्ट है न? दादाश्री : हाँ, प्रकृति इफेक्ट है, लेकिन सिर्फ प्रकृति को ही इफेक्ट नहीं कह सकते। प्रकृति में इफेक्ट और कॉज़ेज़ दोनों गुण रहे हुए हैं। उनमें से कॉज़ेज़ के अलावा बाकी का सारा भाग इफेक्ट है। अतः हम कॉज़ेज़ बंद कर देते हैं, इसलिए आपसे कह देते हैं कि 'व्यवस्थित है। यदि कॉज़ेज़ जारी रहें तो उसे व्यवस्थित नहीं कहा जा सकता। प्रकृति का मतलब क्या है कि पूर्वजन्म में वह माल भरा था। पूर्वजन्म में जो माल भरा है, वह अभी प्रकट हो रहा है और अभी जो भरोगे वह अगले जन्म प्रकट होगा, उसे कहते हैं प्रकृति। प्रकृति, जैसे सुलगाया हुआ बारूद आपने जो भरा है, नियम से वही निकलता है। एक पटाखा, एक हवई बम या कोई टिकड़ी हो तो, उसे जलाने के बाद वे अपना स्वभाव छोड़ेंगे क्या? प्रकृति अर्थात् सुलगाई हुई चीज़। अब, हमें सुलगाना नहीं पड़ता। जब उसके काल का उदय आता है, उस घड़ी उसका अंकुर फूटता है। उसके बाद क्या वह रुक सकता है? यदि हवई बम के स्वभाववाला होगा तो धोती में घुस जाएगा और पटाखे के स्वभाववला होगा तो फूटेगा और फुलझड़ी के स्वभाववाला होगा तो फुलझड़ी। इस प्रकार स्वभाव के अनुसार फूटेंगे। ____ यदि कोई ऐसा बड़ा बम होगा, भड़ाक से फूटते हैं वैसा, अब उसमें अगर गलती से हवई बम का बारूद भर लिया हो और आप फोड़ो तो वह
SR No.030023
Book TitleAptavani Shreni 13 Purvarddh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2015
Total Pages518
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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