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________________ आप्तवाणी-८ ३३ दादाश्री : बहुत ही संबंध है ! पूर्वजन्म में बीज पड़ते हैं, और दूसरे जन्म में बाली आती है । तो फिर बीज और बाली में फ़र्क़ नहीं है? संबंध है या नहीं?! हम बाजरे का दाना डालें, वह पूर्वजन्म है और बाली आए, वह यह जन्म है, वापस बाली में से बीज के रूप में दाना गिरा, वह पूर्वजन्म और उसमें से बाली आई वह नया जन्म। समझ में आया या नहीं? प्रश्नकर्ता : एक आदमी रास्ते पर ऐसे चला जाता है और दूसरे कितने ही लोग उस रास्ते पर से जाते हैं लेकिन कोई साँप किसी खास आदमी के लिए ही बाधक होता है, उसका कारण पुनर्जन्म ही है? I दादाश्री : हाँ, हम यही कहना चाहते हैं न कि पुनर्जन्म है, इसलिए वह साँप आपको काटता है । पुनर्जन्म नहीं होता तो साँप आपको नहीं काटता । पुनर्जन्म है, वह आपका हिसाब आपको चुका रहा है । ये सभी हिसाब ही चुक रहे हैं। जैसे बहीखाते के हिसाब चुकते हैं न, उसी तरह सब हिसाब चुक रहे हैं । और डेवलपमेन्ट के कारण अपने को ये सब हिसाब समझ में भी आते हैं । इसलिए अपने यहाँ कुछ लोगों की 'पुनर्जन्म है' ऐसी मान्यता भी बन चुकी है न! लेकिन वह पुनर्जन्म है ही, ऐसा नहीं बोल पाते। ‘है ही' ऐसा प्रमाण कोई दे नहीं सकता, लेकिन उसकी खुद की श्रद्धा में बैठ चुका है, ऐसे सभी उदाहरण देखकर, कि पुनर्जन्म है ज़रूर । I ये बहन कहेंगी, इन्हें सास अच्छी क्यों मिली और मुझे ऐसी सास क्यों मिली? यानी तरह - तरह के संयोग मिलते हैं। योजना बनी, वही मूल कर्म प्रश्नकर्ता कर्मों का अच्छा या खराब फल इस जन्म में मिलता है या फिर अगले जन्म में मिलता है? : दादाश्री : जो कर्म किए जाते हैं, वे योजना के रूप में होते हैं। I जैसे गवर्मेन्ट यहाँ पर योजना बनाती है, नर्मदा नदी के बांध की योजना यहाँ पर बनाते हैं। अब उस समय उस योजना से यहाँ पर पानी रुक सकता
SR No.030019
Book TitleAptavani Shreni 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2012
Total Pages368
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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