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________________ आप्तवाणी-८ ऐसा है न, आप चीनी के कारखाने में देखोगे न, तो वहाँ पर एक तरफ़ गन्ना खरीदकर लेते हैं और एक तरफ़ चीनी की बोरियाँ स्टॉक में रख आते हैं। बीच में क्या-क्या प्रक्रिया हो रही है, वह आप जानते हो? इस तरफ़ गन्ना लेते हैं, तो पहले गन्ना कटता है, फिर पिसता है, यानी 'दूसरे जन्म' में पिसा हुआ होता है । फिर वापस वहाँ से 'तीसरे जन्म' में जाता है, ‘चौथे जन्म' 'जाता है, ऐसे करते-करते चीनी बनती है । एक ही 'स्टेज' में, एक ही 'जन्म' में चीनी नहीं बन सकती । उसी तरह हर एक चीज़ का, उसका डेवलपमेन्ट होते-होते वह फिर अंतिम स्टेज तक पहुँचता है। आत्मा तो ‘फुल डेवलप' ही है । लेकिन यह बाहर का जो भाग है, 'कपड़े' का जो भाग है, वह ‘डेवलप' होना चाहिए। फॉरिनवाले कम ‘डेवलप' हैं, तो उन्हें पुनर्जन्म समझ में नहीं आ पाता । और अपने यहाँ 'डेवलप' प्रजा है, इसलिए भले उन्हें पुनर्जन्म समझ में आए या नहीं आए, लेकिन मान्यता तो है ही। छोटा बच्चा भी कहता है कि अगले जन्म में ऐसा होगा । यानी समझ में आए या नहीं आए 'इट इज़ डिफ़रन्ट मेटर', लेकिन पुनर्जन्म को मानते ही हैं I ३२ ... वही का वही चक्कर प्रश्नकर्ता : मनुष्य के हर एक जन्म का उसके पूर्वजन्म के साथ संबंध है क्या? दादाश्री : वह तो हर एक जन्म पूर्वजन्म ही होता है। यानी हर एक जन्म का संबंध पूर्वजन्म से है ही । प्रश्नकर्ता : परन्तु पूर्वजन्म का इस जन्म के साथ क्या लेना-देना है? दादाश्री : अरे, अगले जन्म के लिए यह जन्म पूर्वजन्म है। पिछला जन्म, वह पूर्वजन्म था, उसीसे यह जन्म है । और यह जो जन्म है, वह अगले जन्म के लिए पूर्वजन्म कहलाएगा। I प्रश्नकर्ता : हाँ, यह बात सच है । लेकिन पूर्वजन्म में क्या ऐसा कुछ होता है, जिसका इस जन्म के साथ कोई संबंध हो ?
SR No.030019
Book TitleAptavani Shreni 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2012
Total Pages368
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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