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________________ आप्तवाणी-८ उधार लिया हो तो बैल बनकर चुकाना पड़ता है, भैंस बनकर चुकाना पड़ता है, कुत्ता बनकर चुकाना पड़ता है। अब कुछ लोगों का वह उधार एक ही जन्म में शायद पूरा न भी हो, तो उनका कुत्ते का जन्म पूरा हो जाए, उसके बाद भी अगर फिर उधार बाकी रहे तो वापस गधे का जन्म मिलता है। फिर भी अगर उधार बाकी हो तो फिर सियार का जन्म मिलता है, लेकिन ऐसे आठ ही जन्म आते हैं। नौवाँ जन्म नहीं आता ऐसा। आठ जन्मों में उसका उधार पूरा हो जाता है, और फिर वापस मनुष्य में आता है। मनुष्य यहाँ पर मर जाए, तब उसके पीछे, ले जानेवाले लोग, चारपाँच ऐसे निष्पक्षपाती लोग होते हैं। उनकी बातें सुनो। पक्षपाती यानी, उसके घर के लोग पक्षपाती कहलाते हैं और विरोधी लोग भी पक्षपाती कहलाते हैं। वे विरोधी लोग विरोधपूर्वक बोलते रहते हैं और घर के लोग अच्छा बोलते रहते हैं। और जो निष्पक्षपाती लोग हैं वे बोलते हैं कि 'भाई, यह तो देवता जैसा आदमी था।' तो वही उसकी गति बता देते हैं। और कुछ के लिए तो लोग कहेंगे, 'अरे, यह राक्षस जैसा था।' जैसे अभिप्राय यहाँ पर लोग बाँधते हैं, वही उसकी गति की निशानी है। __ मोक्ष की ज़रूरत तो किसे है? कि... प्रश्नकर्ता : एक मनुष्य के मर जाने के बाद यदि उसे दूसरी देह तुरन्त ही मिल जाती है तो फिर लोग मोक्ष के लिए किसलिए प्रयत्न करते दादाश्री : जिसे इस संसार में चिंता होती हो और वह चिंता उसे पसंद नहीं हो, सहन नहीं होती हो, उसे मोक्ष की ज़रूरत है। जिसे यह चिंता पसंद हो उसे तो मोक्ष की कोई ज़रूरत ही नहीं है न! यानी प्रत्येक मनुष्य को मोक्ष की ज़रूरत है ही नहीं। इन फॉरिनवालो को चिंता सहन होती है, उन्हें मोक्ष की ज़रूरत है ही नहीं। अपने यहाँ के कुछ लोगों से चिंता सहन होती है, तो उन्हें भी मोक्ष की ज़रूरत नहीं है। बाकी जिससे चिंता सहन नहीं हो पाती, जिसे इस संसार में से भाग छूटने जैसा लगता है, उसे मोक्ष की ज़रूरत है।
SR No.030019
Book TitleAptavani Shreni 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2012
Total Pages368
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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