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________________ ९४ आप्तवाणी-८ ही नहीं है, कभी उसे सुना भी नहीं है, श्रद्धा में नहीं है। जिसे ये लोग चेतन कहते हैं, वह तो इस ‘मिकेनिकल चेतन' को चेतन कहते हैं। 'मिकेनिकल चेतन' यानी कि जो खाता है, पीता है, श्वास लेता है, वह। नाक दबा दें, श्वास बंद कर दें तो यह चेतन कितने दिन चलेगा? प्रश्नकर्ता : पाव घंटे। दादाश्री : अतः यह चेतन नहीं है। यह तो चेतन की मायावी शक्ति खड़ी हो गई है। अंदर 'आत्मा' के कारण 'चेतन' का स्पर्श हुआ है इसलिए यह हमें चेतन के रूप में दिखता है, लेकिन वास्तव में यह चेतन नहीं है। यह भ्रांति का चेतन है? जगत् जिसे चेतन कहता है वह उनकी दृष्टि का चेतन है, एक्जेक्ट चेतन नहीं है। उस चेतन को 'निश्चेतन चेतन' कहा जाता है। अतः वह डिस्चार्ज होती हुई चीज़ है। जब डिस्चार्ज होता है, तब वह 'निश्चेतन चेतन' है। ये जो मनुष्य चलते-फिरते हैं, जो कुछ भी करते हैं, वह सारा ही निश्चतेन चेतन है। सिर्फ आत्मा की उपस्थिति के कारण यह पूरी मशीन चल रही है। यदि आत्मा हाज़िर नहीं होगा तो यह मशीन चलेगी ही नहीं, बंद हो जाएगी। मुँह बंद कर दें और नाक दबाकर रखें तो क्या होगा? 'अंदरवाले' पूरा रूम खाली करके चले जाएँगे फिर। इसे चेतन कैसे कहेंगे? यह 'मिकेनिकल चेतन' है। दरअसल चेतन यदि जगत् ने जाना होता तो आज कल्याण हो जाता। वह जाना जा सके, ऐसी स्थिति में है ही नहीं। इस 'मिकेनिकल चेतन' को सचर कहा गया है और दरअसल चेतन को अचल कहा गया है यानी जगत् सचराचर है। इस देह के अंदर चेतन है ज़रूर लेकिन 'इफेक्टिव चेतन' है। कैसा चेतन है? चार्ज हो चुका चेतन है। अब चार्ज हो चुका चेतन, मूल चेतन तो नहीं कहलाएगा न! कुछ भूल है या नहीं? अभी तक भूल में ही चला है, ऐसा पता चला आपको? सभी मान्यताएँ भूलों से भरी हुई थीं। कुछ 'एक्ज़ेक्टनेस' तो आनी चाहिए न?
SR No.030019
Book TitleAptavani Shreni 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2012
Total Pages368
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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