SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 297
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २५६ आप्तवाणी-७ प्रश्नकर्ता : मुझे पता चला कि यह आदमी मेरी जेब काट रहा है तो मुझे क्या करना चाहिए? दादाश्री : आपकी दृष्टि में आए तो उसे पकड़ना! उसे पकड़ने के बाद उस पर रौद्रध्यान मत करना। उसे कहना कि, 'भाई, किसलिए मेरी जेब काट रहा है? मैंने तेरा क्या बिगाड़ा है? तुझे परेशानी हो तो ले मैं ये सौ रुपये देता हूँ, तू ले जा। यह पाँच हज़ार रुपये तो मुझे वहाँ जमा करवाने जाना हैं।' तो पचास-सौ रुपये उसे दे दें तो उसमें हर्ज नहीं है, लेकिन ऐसे समाधानपूर्वक होना चाहिए। पकड़ना तो चाहिए। ऐसा नहीं कह सकते कि, 'भाई हाँ, काट ले! मेरे भगवान ने कहा है कि काट ले!' ऐसा नहीं कहना चाहिए। लेकिन यदि वह जेब काट जाने के बाद कलह करें, तो वह सब बेकार है। जेब काटनेवाला जेब काटता है, उसमें गलत नहीं है। यह जगत् एक भी मिनट नियम से बाहर चला ही नहीं। फिर भी लोग कहते हैं कि, 'आज कल लोग नालायक हो गए हैं।' नहीं, ऐसे तो कुछ नालायक नहीं हो गए हैं। यह सब कुदरत ही करवाती है और ये लोग तो बीच में निमित्त हैं। और ये इगोइज़म करते हैं कि, 'मैंने किया, मैंने किया' इतना ही। अतः किसी का भी दोष मत निकालना, क्योंकि दोष निकालोगे तो फिर से आप जोखिमदार बन जाओगे। जोखिमदारी नहीं लेनी है न? __कुदरत की कैसी ग़ज़ब की प्लानिंग! जेब काटना भी एक प्रकार की विद्या है न! इस दुनिया में जेब काटनेवालों को सभी ओर से ढूँढ-ढूँढकर मार डाला जाए तो क्या होगा? दुनिया अस्तव्यस्त (नियम विरुद्ध,अन्यायपूर्ण) हो जाएगी। जैसे ये बैन्डवाले होते हैं उनमें पिपूड़ीवाले को निकाल दें तो बैन्ड अच्छा दिखेगा? वैसे ही इन जेब काटनेवालों की ज़रूरत है और जगत् में जितने जेब काटनेवालों की ज़रूरत है, उतने ही हैं!
SR No.030018
Book TitleAptavani Shreni 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2013
Total Pages350
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy