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________________ जेब कटी? वहाँ समाधान! (१७) २५५ आपके पास जेब होगी ही नहीं, तो आपका कुछ कटेगा भी नहीं। जो कटा वह 'चंदूभाई' का कटा, लेकिन 'आप' कहते हो, 'मेरी जेब कट गई,' तब 'आप' 'चंदूभाई' हो गए। वह मिथ्यात्व है। प्रश्नकर्ता : मैं सांसारिक व्यक्ति के तौर पर बात कर रहा हूँ कि मेरी जेब कट रही हो और मैं खुद देख रहा हूँ, मुझे पता हो कि जेब कट रही है, तो मुझे क्या करना चाहिए उस समय? दादाश्री : अभी तो यदि आपकी जेब कट रही हो, तब आप अपनी तरह से वही करते हो उसे पकड़कर कि, 'तू मेरी जेब क्यों काट रहा है?' और उसे गालियाँ देते हो और ऐसा सब करते हो। लेकिन वास्तव में क्या करना चाहिए, आप वह पूछना चाहते हो? तो मैं क्या कहना चाहता हूँ कि, 'आपकी जेब' काटे तब तुरंत ही आपको भगवान की बात याद आनी चाहिए कि यह जेब काट रहा है, यह एक तरफ दो सौ रुपये पड़े हैं वह नहीं काटा और यह पाँच हज़ारवाली जेब काट रहा है, इसलिए यह मेरे ही कर्म का उदय है। वह जो जेब काट रहा होता है, उस घड़ी आपको कौन सा अच्छा योग मिलता है? कि सबसे बडा धर्मध्यान उत्पन्न होने का योग मिलता है, तब आप रौद्रध्यान करते हो। जेब काटता है, तब आपके कर्म के उदय से यह भाई मिला है, और यह दो सौ रुपयेवाली नहीं काटता और यह पाँच हज़ार रुपयेवाली जेब उसके हिस्से में आई है, यानी कि यह अपना हिसाब चुक रहा है। प्रश्नकर्ता : यह तो कट जाने के बाद, जैसा आपने कहा उस अनुसार धर्मध्यान करना है, लेकिन जिस घड़ी कट रहा हो उस घड़ी क्या करना चाहिए? उसे रोकें या कटने दें? दादाश्री : उस तरह कटने भी नहीं देनी है।
SR No.030018
Book TitleAptavani Shreni 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2013
Total Pages350
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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