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________________ दुःख मिटाने के साधन (१५) वह प्रोडक्शन है और उसकी वजह से बाइ प्रोडक्ट मिलता है और संसार की सभी ज़रूरतें पूरी होती हैं। मैं अपना एक ही तरह का प्रोडक्शन रखता हूँ, 'जगत् परम शांति को प्राप्त करे और कुछ मोक्ष को पाएँ ।' मेरा यह प्रोडक्शन और उसका बाइ प्रोडक्शन मुझे मिलता ही रहता है। ये चाय-पानी, जैसा आपको मिलता है, हमें उससे कुछ अलग ही प्रकार का मिलता है। उसका क्या कारण है? कि आपकी तुलना में मेरा प्रोडक्शन उच्च कोटि का है। यदि आपका प्रोडक्शन भी उतना ही उच्च कोटि का होगा तो बाइ प्रोडक्शन भी उच्च कोटि का आएगा । २४१ बाकी का सारा प्रोडक्शन बाइ प्रोडक्ट होता है, उसमें आपको ज़रूरत की सभी चीजें मिलती रहेंगी और वे ईज़िली मिलती रहेंगी देखो न ! यह पैसों का प्रोडक्शन किया है इसलिए आज पैसा ईज़िली नहीं मिलता। भागदौड़ । बदहाल घूम रहे हों ऐसा करते हैं और मुँह पर अरंडी का तेल चुपड़कर घूम रहे हों, ऐसे दिखते हैं! घर में अच्छा खाने-पीने का है, कितनी सुविधाएँ हैं, रास्ते कितने अच्छे हैं, रास्ते पर चलें तो पैर धूलवाले नहीं हो जाते! इसलिए मनुष्यों की सेवा करो, मनुष्य में भगवान विराजमान है, भगवान भीतर ही बैठे हैं। बाहर भगवान ढूँढने जाओगे तो वे मिलेंगे नहीं। आप इंसानों के डॉक्टर हो इसलिए आपको इंसानों की सेवा करने को कहता हूँ। जानवरों के डॉक्टर होंगे तो उन्हें जानवरों की सेवा करने का कहूँगा। जानवरों में भी भगवान विराजमान हैं। लेकिन इन मनुष्यों में भगवान विशेष रूप से प्रकट हुए हैं ! प्रश्नकर्ता : कर्तव्य तो हर एक व्यक्ति का होता ही है, फिर वकील हो या डॉक्टर, लेकिन कर्तव्य तो यही होता है कि 'मनुष्य मात्र का अच्छा करूँ?' दादाश्री : हाँ, लेकिन यह तो ' अच्छा करना है' ऐसी गाँठ बाँधे बिना बस करता ही रहता है, कोई भी डिसीज़न नहीं लिया है। कोई भी हेतु निश्चित किए बगैर यों ही गाड़ी चलती रहती
SR No.030018
Book TitleAptavani Shreni 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2013
Total Pages350
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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