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________________ २४० आप्तवाणी-७ क्या कि यह अस्पताल बनाना है, तो पेशेन्ट किस तरह स्वास्थ्य प्राप्त करें, किस प्रकार सुखी हो, किस तरह लोग आनंद में आए, कैसे उनकी जीवनशक्ति बढ़े, ऐसा अपना उच्च हेतु नक्की किया हो और सेवाभाव से ही वह काम किया जाए, तब उसका बाइ प्रोडक्शन क्या? लक्ष्मी। अतः लक्ष्मी तो बाइ प्रोडक्ट है, उसे प्रोडक्शन मत मानना। पूरे जगत् में लक्ष्मी को प्रोडक्शन बना दिया है इसलिए फिर उसे बाइ प्रोडक्शन का लाभ नहीं मिलता। अतः आप यदि सिर्फ सेवा का भाव ही नक्की करो तो उसके बाइ प्रोडक्शन में तो फिर और अधिक लक्ष्मी आएगी। यानी यदि लक्ष्मी को बाइ प्रोडक्ट में ही रखें तो लक्ष्मी अधिक आती है, लेकिन यह तो लक्ष्मी के हेतु से ही लक्ष्मी के लिए प्रयत्न करते हैं, इसलिए लक्ष्मी नहीं आती। इसलिए आपको यह हेतु बता रहे हैं कि यह हेतु रखना 'निरंतर सेवाभाव।' तो बाइ प्रोडक्ट अपने आप ही आता रहेगा। जिस तरह बाइ प्रोडक्ट में कोई मेहनत नहीं करनी पड़ती, खर्चा नहीं करना पड़ता, वह फ्री ऑफ कॉस्ट होता है, उसी तरह यह लक्ष्मी भी फ्री ऑफ कॉस्ट मिलती है। आपको ऐसी लक्ष्मी चाहिए या ऑन (मूल क़ीमत से ज़्यादा में बेचना) की लक्ष्मी चाहिए? ऑन की लक्ष्मी नहीं चाहिए? तो फिर अच्छा है! अगर फ्री ऑफ कॉस्ट मिले तो वह कितनी अच्छी! अतः सेवाभाव नक्की करो, मनुष्य मात्र की सेवा। क्योंकि हमने अस्पताल खोला यानी कि हम जो विद्या जानते हैं सेवाभाव में उस विद्या का उपयोग करें, वही अपना हेतु होना चाहिए। उसके फलस्वरूप दूसरी चीजें फ्री ऑफ कॉस्ट मिलती रहेंगी और फिर लक्ष्मी की कभी भी कमी नहीं पड़ेगी और जो लक्ष्मी के हेतु से ही करने गए उन्हें नुकसान हुआ है। हाँ, और लक्ष्मी के हेतु से ही कारखाना बनाया, फिर बाइ प्रोडक्ट तो रहा ही नहीं न! क्योंकि लक्ष्मी खुद ही बाइ प्रोडक्ट है, बाइ प्रोडक्शन का! अतः हमें प्रोडक्शन नक्की करना है, ताकि बाइ प्रोडक्शन फ्री ऑफ कॉस्ट मिलता रहे। आत्मा प्राप्त करने के लिए जो कुछ भी किया जाता है, इसी तरह यह ला करना पड़ता, वह में कोई मेहनत अपने आप
SR No.030018
Book TitleAptavani Shreni 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2013
Total Pages350
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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