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________________ १७. जेब कट जाए, वहाँ समाधान जेब कट गई, वह कुदरत का न्याय हुआ। कुदरत का न्याय क्या कहता है कि जिसकी जेब कटी, वही गुनहगार। 'भुगते उसी की भूल।' इस नैचरल लॉ (कानून) का रहस्य जगत् में प्रथमबार 'ज्ञानीपुरुष' ने ही अनावृत किया है। जो इतना ही समझ लेगा, वह ठेठ मोक्ष में जाएगा! जेब कटी वह 'चंदूलाल' की। आत्मा को जेब होगी, तो कटेगी न? कुदरत के प्लानिंग में जहाँ साहूकार का स्थान है तो वहाँ पर चोरों का भी स्थान है। ये चोर, लुटेरे तो गटर हैं, बदबूदार काला पैसा शुद्ध कर देनेवाले गटर हैं! गटर नहीं होंगे तो शहर की क्या दशा होगी? इसलिए जो है, जो होता है, वह करेक्ट ही है! चीज़ों के उपयोग के नियम होते हैं। आज दस कमीज़ों का उपयोग किया, तो आगे जाकर उतने ही कम उपयोग किए जाएंगे। पूरी जिंदगी के उपयोग का जितना आँकड़ा निश्चित है, उतना ही रहता है। फिर उसे एक साथ खर्च करते जाओ या फिर जैसे-जैसे ज़रूरत पड़े वैसे-वैसे खर्च करते जाओ! १८. क्रोध की निर्बलता के सामने... दुनिया में कोई ऐसा नहीं जन्मा कि जो क्रोध कर सके। क्रोध किया नहीं जाता, क्रोध हो जाता है। यह तो, क्रोध हो जाने के बाद खुद की गलती के बचाव के लिए अक्लमंदों ने रास्ता ढूँढ निकाला है कि यह क्रोध तो मैंने इसे सीधा करने के लिए किया था, नहीं तो वह सीधा हो सके, ऐसा है ही नहीं! क्रोध का शमन करने की सही समझ का पृथक्करण ज्ञानी ने कितनी सूक्ष्मता से करके बताया है! कप-प्लेट फूटें और क्रोध हो जाए, उसका क्या कारण है? अपना नुकसान हुआ इसलिए? नौकर को झिड़क दिया, वह अहंकार किया। विचारक तो तुरंत ही सोच लेता है कि यदि कपप्लेट फूट गए हैं, तो वास्तव में वे किसने फोड़े? वह निवार्य था या अनिवार्य? हमेशा अपने मातहतों को ही डाँटते हैं। सुपरवाइज़र को क्यों
SR No.030018
Book TitleAptavani Shreni 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2013
Total Pages350
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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