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________________ पाप-पुण्य की परिभाषा (११) १७५ I न? और चींटियों को सुख होता है न? उससे आपको पुण्य बँधता to अतः यह पुण्य और पाप, इन दोनों का असर होता रहता है। पुण्य हों तो पुण्य का असर क्या कहलाता है? उससे आपकी इच्छा के अनुसार सब होता रहता है। पुण्य का असर क्या है? कि अपनी इच्छा के अनुसार सब होता रहता है और पाप का असर क्या है? कि जो इच्छा की हो उससे उल्टा ही होता रहता है। ऐसे कुछ उल्टे पासे पड़े थे? अब क्या उसमें डालनेवाले की भूल है? डालनेवाले की भूल नहीं है। पासा डालनेवाला वही था, लेकिन जब पुण्य का असर था तब पासे सही गिर रहे थे और जब पाप का असर आया, तब सभी पासे उल्टे गिरे। जब पुण्य का असर रहेगा, तब लोग ‘आईए, आईए, आईए चंदूभाई, आईए चंदूभाई सेठ' कहेंगे और पाप का असर रहेगा तब 'जाने दो न उनकी बात!' ऐसा कहेंगे। अब वही के वही चंदूभाई हैं, लेकिन उनके पाप-पुण्य का असर लोगों पर पड़ता है! पाप-पुण्य से मुक्ति किस प्रकार? प्रश्नकर्ता : पाप धोना आता हो तो? दादाश्री : इस तरह धोना नहीं आ सकता। जब तक 'ज्ञानीपुरुष' रास्ता नहीं दिखाते, तब तक पाप धोना आ ही नहीं सकता। पाप धोना यानी क्या? कि प्रतिक्रमण करना। अतिक्रमण, वह पाप कहलाता है। व्यवहार से बाहर कोई भी क्रिया की, तो वह पाप कहलाता है, अतिक्रमण कहलाता है। अतः उसका प्रतिक्रमण करना पड़ेगा। इससे फिर वे सारे पाप धुल जाएँगे, नहीं तो पाप नहीं धुलेंगे। पाप के उदय के समय उपाय क्या? प्रश्नकर्ता : प्रतिक्रमण करने से शायद नये पाप नहीं बँधेगे, लेकिन पुराने पाप तो भुगतने ही पड़ेंगे न?
SR No.030018
Book TitleAptavani Shreni 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2013
Total Pages350
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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