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________________ आप्तवाणी-६ समाधान नहीं होता! सच्ची बात का समाधान होता है, शंका का समाधान कभी भी नहीं हो पाता । ३८ I शंका अर्थात् क्या? खुद के आत्मा को बिगाड़ने का साधन । शंका दुनिया में सबसे खराब वस्तु है और शंका सौ प्रतिशत गलत होती है, और जहाँ शंका नहीं रखता, वहाँ पर शंका होती है । जहाँ विश्वास रखता है, वहाँ पर ही शंका होती है और जहाँ शंका है वहाँ कुछ है ही नहीं । यों सभी प्रकार से आप मार खाते हो। हमने तो 'ज्ञान' से देखा है कि आप सभी प्रकार से मार खाते रहते हो। प्रश्नकर्ता : यह शंकावाली बात समझ में नहीं आई कि जहाँ विश्वास रखते हैं, वहीं पर शंका होती है । दादाश्री : ऐसा है न, आप किस ज्ञान के आधार पर इस दृष्टि को नाप सकते हो? अरे! खुली आँखों से देखा हो, तो भी गलत निकलता है! यह तो बुद्धिजन्य ज्ञान से, विचारणा करके देखते हो ! वह आपको मार खिला-खिलाकर तेल निकाल देगा! इसलिए हम कहते हैं कि बुद्धि से दूर बैठो। बुद्धि तो थोड़ी देर भी चैन से नहीं बैठने देती । यह आपका तो बहुत अच्छा है। आपकी भावना अच्छी है, इसलिए वापस मार्ग पर आ गए। प्रश्नकर्ता : फिर तो मैंने प्रतिक्रमण का ज़ोर बहुत बढ़ा दिया। सुबह जल्दी उठकर प्रतिक्रमण करता था । दादाश्री : ऐसे प्रतिक्रमण यहाँ पर सीखे, इस प्रतिक्रमण ने बहुत काम कर दिया। इस प्रतिक्रमण के आधार पर तो आप जीवित हो । आपका तो इतना ही परिवार है । मेरा तो कितने ही सदस्यों का परिवार है। परंतु किसी पर शंका ही नहीं । अर्थी में साथ में कौन? प्रश्नकर्ता : 'मैं कहता हूँ वह सच है', ऐसा नहीं मानना चाहिए, ऐसा? दादाश्री : सच्चा हो, फिर भी हमें क्या ? मेरा कहना यह है कि
SR No.030017
Book TitleAptavani Shreni 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2013
Total Pages350
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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