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________________ ७१ सामीप्यभाव से मुक्ति शुद्ध उपयोग का अभ्यास १११ उपयोग जागृति ११२ [१०] [१६] विषयों में सुखबुद्धि किसे? ७३ बात को सीधी समझ जाओ न!११७ संसार चलाने के लिए आत्मा... ७५ [१७] निराकुल आनंद ७६ कर्मफल-लोकभाषा में, ज्ञानी... १२२ अहंकार के प्रतिस्पंदन-व्यवहार में७८ परिणाम में समता १२३ परिणाम परसत्ता में ७९ बाघ हिंसक है या बिलीफ़? १२४ [११] भाव और इच्छा की उत्पत्ति १२५ मानव स्वभाव में विकार हेय... ८१ रिकॉर्ड की गालियों से आपको...१२६ बुद्धि का श्रृंगार करें ज्ञानी ८४ अकर्म दशा का विज्ञान १२७ बुद्धि की समाप्ति ८६ कर्म बाधक नहीं... १२८ डिसीज़न में वेवरिंग [१८] जल्दी से धीरे चलो! 'सहज' प्रकृति १३० मन का लंगर 'असहज' की पहचान १३१ जहाँ इन्टरेस्ट, वहीं एकाग्रता सहज → असहज → सहज १३२ अप्रयत्न दशा १३४ [१२] सहज अर्थात् अप्रयत्न दशा १३४ प्राकृत गुणों का विनाश हो... ९३ प्रकृति का पृथक्करण ज्ञानी की विराधना का... प्रकृति पर कंट्रोल कौन करता...१३७ ज्ञानी के राजीपे की चाबी प्रकृति का सताना १३७ [१३] करारों से मुक्त १४० घर्षण से गढ़ाई [१९] [१४] दुःख देकर मोक्ष में... १४२ प्रतिकूलता की प्रीति १०३ फ़र्ज पूरे करो, लेकिन... १४४ छुटकारे की चाबी कौन सी? १०५ [२०] जगत् निर्दोष - निश्चय से... १०६ अनादि का अध्यास १४५ दोषदर्शन, उपयोग से [२१] [१५] चीकणी 'फाइलों' में समभाव १५१ उपयोग सहित वहीं पर... १०९ वाणी में मधुरता, कॉज़ेज़ का... १५४ W १३५ १०७
SR No.030017
Book TitleAptavani Shreni 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2013
Total Pages350
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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